
आरोपी है 64 वर्षीय स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी चैतन्यानंद उर्फ पार्थ सारथी, जिसके खिलाफ अब तक 17 से ज्यादा छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस की जांच में उसकी क्राइम कुंडली खुलने लगी है और एक-एक कर पुराने मामलों की परतें सामने आ रही हैं।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
जांच में सामने आया कि चैतन्यानंद का आपराधिक सफर नया नहीं है। वर्ष 2009 में पहली बार उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। उस समय वह 48 साल का था और उसने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर दक्षिण दिल्ली की पॉश कॉलोनी में रहने वाली महिला को परेशान करना शुरू किया।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, आरोपी महिला को रात के तीन बजे फोन करता और अपशब्द कहता था। लगातार एक महीने तक इस उत्पीड़न से महिला सदमे में चली गई। 15 दिसंबर 2009 को दर्ज एफआईआर (102/2009) में महिला की अस्मिता भंग करने और धमकी देने के मामले शामिल किए गए थे। हालांकि, मामले की धाराएं जमानती थीं, जिसके चलते चैतन्यानंद थाने से ही जमानत पर बाहर आ गया।
अब आरोपी पर आरोप है कि उसने अपने आश्रम और उससे जुड़े संस्थानों में पढ़ने वाली कम से कम 15 छात्राओं से छेड़छाड़ की। छात्राओं का कहना है कि वह परीक्षा में नंबर काटने या बढ़ाने का लालच देकर उन्हें अपने कमरे में बुलाता था। वहां वह अश्लील हरकतें करता और उनका शोषण करने की कोशिश करता।
एक मामला वर्ष 2016 का भी सामने आया है। पीजीडीएम कर रही छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि स्वामी ने ज्यादा नंबर देने का वादा किया और फिर कमरे में बुलाकर उसके साथ छेड़छाड़ की। इस केस में कोर्ट में अभी ट्रायल चल रहा है।
जांच में यह भी सामने आया कि कुछ पीड़िताओं ने एयरपोर्ट अथॉरिटी के जरिए आश्रम प्रशासन तक शिकायत पहुंचाई थी। हालांकि, पुलिस के पास आधिकारिक तौर पर ऐसी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई। दक्षिण-पश्चिमी जिला डीसीपी अमित गोयल ने स्पष्ट किया कि एयरफोर्स की ओर से उन्हें इस मामले में कोई पत्र नहीं मिला।
छात्राओं के गंभीर आरोप और पुराने मामलों की कड़ी देखते हुए पुलिस ने आरोपी के खिलाफ लोकेशन आउटसाइड कंट्रोल (LOC) खोल दी है। इसका मतलब है कि आरोपी देश छोड़कर भाग नहीं सकेगा और अगर कोशिश करता है तो एयरपोर्ट पर ही पकड़ा जाएगा।
स्वामी चैतन्यानंद के खिलाफ दर्ज मुकदमों में कई धाराएं शामिल हैं, लेकिन अधिकांश जमानती हैं। इनमें शामिल हैं:
• 75(2) BNS: शारीरिक संपर्क, अश्लील सामग्री दिखाना, यौन संबंधों की मांग – अधिकतम 3 साल की सजा।
• 79 BNS: महिला की अस्मिता भंग करना – 3 साल की सजा।
• 351(2): धमकी देना – 2 साल की सजा।
• 354(3): झूठी पहचान लगाना।
• 318(4): धोखाधड़ी।
• 336(3) व 340(2): नकली दस्तावेज व रिकॉर्ड बनाना।
कानून के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जिन मामलों में 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है, उनमें पुलिस सीधे गिरफ्तारी नहीं करती। यही वजह है कि आरोपी अब तक गिरफ्तारी से बचता रहा है।
यह पूरा मामला केवल एक अपराधी की करतूतों की कहानी नहीं है, बल्कि समाज के उस हिस्से का भी आईना है जहां धर्म और अध्यात्म की आड़ में महिलाओं व छात्राओं का शोषण होता है। पीड़ित छात्राओं का कहना है कि वे डर और सामाजिक दबाव की वजह से लंबे समय तक चुप रहीं, लेकिन अब उन्होंने हिम्मत जुटाकर शिकायत दर्ज कराई है।
वसंत कुंज आश्रम के स्वयंभू स्वामी चैतन्यानंद का मामला यह दिखाता है कि कैसे नकली धर्मगुरु अध्यात्म के नाम पर अपने निजी स्वार्थ और गंदी मानसिकता को पूरा करते हैं। 2009 से लेकर आज तक उसका अपराधी सफर जारी रहा और वह हर बार जमानती धाराओं का फायदा उठाकर बाहर आता रहा।
अब पुलिस ने उसके खिलाफ LOC खोली है और कोर्ट में ट्रायल भी चल रहा है। सवाल यह है कि क्या इस बार आरोपी कानून के शिकंजे से बच पाएगा, या फिर उसकी काली करतूतों का अंत होगा।


