त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव द्वितीय चरण: बरसात, चुनौती और जनउत्साह के बीच मतदान शुरू | संपादकीय रिपोर्ट – Hindustan Global Times

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रुद्रपुर/देहरादून/लालकुआं, 28 जुलाई 2025उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के द्वितीय चरण में सोमवार को 21.57 लाख मतदाता 14751 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने निकल चुके हैं। सुबह 8 बजे से ही मतदान केंद्रों के बाहर ग्रामीणों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं, जो यह दर्शाती हैं कि लोकतंत्र की जड़ों को सींचने के लिए अब भी गांवों में जबरदस्त चेतना और उत्साह जीवित है।

इस चरण में 40 विकासखंडों में 5033 पदों के लिए चुनाव हो रहा है, जिसमें 4709 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग की निगरानी में रविवार को ही 4432 पोलिंग पार्टियां रवाना की गईं थीं जबकि 277 पार्टियों को दुर्गम इलाकों में पहले ही भेजा गया।


वर्षा की आशंका बनी चुनौती, तंत्र सतर्क

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने जानकारी दी कि मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए सभी जिलों में आपदा प्रबंधन तंत्र, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्वास्थ्य व पुलिस प्रशासन को पूर्ण अलर्ट मोड में रखा गया है। नैनीताल, बागेश्वर, देहरादून, टिहरी, चंपावत, पौड़ी और पिथौरागढ़ जिलों में भारी बारिश की चेतावनी को देखते हुए खास सतर्कता बरती जा रही है।

सबसे अधिक चिंता मतदान के बाद पोलिंग पार्टियों की सुरक्षित वापसी को लेकर जताई जा रही है। इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम्य विकास, उद्यान, कृषि, लोनिवि, सिंचाई, ऊर्जा, वन आदि विभागों के ग्रामीण क्षेत्र में तैनात कार्मिकों को मतदान के दिन अपने कार्यस्थल पर ही डटे रहने का निर्देश जारी किया है।


गांवों की ज़िम्मेदारी गांववालों पर

यह चुनाव सिर्फ प्रतिनिधियों के चयन का पर्व नहीं है, बल्कि प्रशासनिक सतर्कता और ग्रामीण सहभागिता की एक बड़ी परीक्षा भी है। गांवों में कार्यरत कर्मचारी जहां मतदान व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, वहीं संकट की घड़ी में यही स्थानीय कार्मिक राहत व बचाव कार्यों में प्रशासन की रीढ़ भी बनेंगे।

राज्य निर्वाचन आयोग का यह निर्णय अत्यंत व्यावहारिक है कि स्थानीय कर्मचारी, जो भौगोलिक और सामाजिक दृष्टि से क्षेत्र की बारीकियों से भलीभांति परिचित होते हैं, किसी भी आपदा की स्थिति में मार्गदर्शन और सहायक भूमिका में अग्रणी रहेंगे।


शहरी नेताओं की ग्रामीण दस्तक, समीकरण बदलने की उम्मीद

चुनाव प्रचार के दौरान यह स्पष्ट देखा गया कि शहरी क्षेत्र के नेताओं ने इस बार विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। लालपुर, प्रतापपुर, औरैया, खानपुर जैसे इलाकों में स्थानीय समीकरणों में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।

ग्राम पंचायत चुनाव के इस चरण में कुछ चौंकाने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं, क्योंकि इस बार कई क्षेत्रों में “पारंपरिक गढ़” कमजोर पड़े हैं और नए चेहरों ने जमीन पर मजबूत पकड़ बनाई है।


लोगतंत्र का उत्सव: बाढ़, बारिश, बाधाएं सबको पीछे छोड़ते मतदाता

सुबह से ही गांवों में महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं का उत्साह देखने लायक है। बरसात की बूंदें हों या कीचड़ से भरे रास्ते, लोकतंत्र की ताकत सब बाधाओं को पार कर रही है। यह दिखाता है कि ग्राम स्तर की राजनीति में भी जनता अब सिर्फ जाति या परंपरा से नहीं, काम और किरदार से वोट दे रही है।


नज़रें 31 जुलाई पर, लेकिन रिपोर्टिंग आज से तेज़

मतगणना 31 जुलाई को होगी, लेकिन जनता की रिपोर्टिंग आज से ही तेज़ हो चुकी है। Hindustan Global Times आपके लिए शाम 7:00 बजे से लालपुर, प्रतापपुर, औरैया, खानपुर सहित प्रमुख ब्लॉकों के लाइव अपडेट लेकर आएगा। कौन प्रत्याशी किस बूथ पर मजबूत दिखा, कहां कमज़ोरी उजागर हुई, कौन गांव किस रंग में रंगा – यह सब जानने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ।


संपादकीय अवतार सिंह बिष्ट विशेष संवाददाता, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

यह चुनाव एक प्रशासनिक इम्तिहान है तो साथ ही लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने का संकल्प भी। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय और आपदाग्रस्त राज्य में चुनावी तैयारियां किसी युद्धस्तर की योजना से कम नहीं होतीं।

दूसरे चरण का यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें सिर्फ प्रतिनिधियों की नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की तैयारियों, स्थानीय कर्मचारियों की जिम्मेदारी और ग्रामीण मतदाता की चेतना की भी परीक्षा हो रही है।

आज मतदान, कल परिणाम — पर असली बदलाव गांव से ही होगा।

✍️ Avtar Singh Bisht

वरिष्ठ संपादक, Hindustan Global Times

रुद्रपुर कार्यालय


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