
रुद्रपुर, 16 जून 2025चारधाम यात्रा एक बार फिर दुखद हादसों की श्रृंखला का पर्याय बन गई है। 15 जून 2025 को केदारनाथ-गौरीकुंड मार्ग पर हुए हेलीकॉप्टर क्रैश ने न केवल सात मासूम यात्रियों की जान ले ली, बल्कि सरकार और हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों की लापरवाही को भी उजागर कर दिया है। जिस आर्यन एविएशन के Bell 407 VT-RPN हेलीकॉप्टर ने गुप्तकाशी से उड़ान भरी थी, वह महज 9 मिनट बाद ही मौत का परिंदा बनकर गिर पड़ा।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
❖ हादसों की पुनरावृत्ति: क्या 2025 सबसे काला साल है?2025 चारधाम यात्रा के लिहाज़ से अब तक का सबसे भयावह वर्ष साबित हो रहा है। साल की शुरुआत से अब तक 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कुल मिलाकर 16 सालों में 45 लोगों की जान जा चुकी है।
- 17 मई 2025: केदारनाथ में एयर एंबुलेंस की लैंडिंग के दौरान तकनीकी खराबी।
- 26 मई 2025: बद्रीनाथ रूट पर निजी कंपनी का हेलीकॉप्टर झटकों के कारण इमरजेंसी लैंडिंग।
- 5 जून 2025: यमुनोत्री में कम विजिबिलिटी के बावजूद उड़ान, बाल-बाल बचा हेलीकॉप्टर।
- 12 जून 2025: रुद्रप्रयाग के पास पायलट को चक्कर आने से लैंडिंग विफल।
- 15 जून 2025: गौरीकुंड के पास आर्यन एविएशन का हेलीकॉप्टर क्रैश – 7 मृतक।
❖ सरकार की आंख खुली… मगर हादसे के बाद!दुर्घटना के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आर्यन एविएशन के सभी ऑपरेशनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। वहीं, DGCA ने दो पायलटों के लाइसेंस भी छह महीने के लिए सस्पेंड कर दिए हैं। हेलीकॉप्टर ने खराब मौसम में उड़ान क्यों भरी, इसका जवाब किसी के पास नहीं।
❖ ये “कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन” था या सरकार की “अनकंट्रोल्ड” लापरवाही?प्रारंभिक जांच के अनुसार, हादसा CFIT यानी “कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन” श्रेणी में आता है। यानी पायलट को बादलों के बीच कुछ नहीं दिखा, फिर भी उड़ान जारी रही। क्या पायलट पर दबाव था? क्या कंपनी यात्रियों के पैसों की लालच में सुरक्षा को ताक पर रख रही थी? और सबसे अहम – क्या उत्तराखंड सरकार की UCADA (उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवेलपमेंट अथॉरिटी) केवल नाम की निगरानी संस्था है?
निगरानी के नाम पर नौटंकी”: UCADA पर सवाल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुर्घटना के बाद DGCA, UCADA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ आपात बैठक बुलाई और कमांड एंड कंट्रोल रूम स्थापित करने के निर्देश दिए। सवाल यह है कि अब तक ये कंट्रोल रूम कहां था?


चारधाम यात्रा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सुरक्षा मानकों की निगरानी पहले दिन से क्यों नहीं की गई?
पैसा कमाने की होड़, जान जोखिम में
सूत्रों के अनुसार, कुछ ऑपरेटर 15-20 मिनट की जल्दी उड़ान के लिए भारी-भरकम रकम वसूलते हैं। इससे पायलटों पर लगातार दबाव बना रहता है कि चाहे जैसे भी हो, उड़ान पूरी करनी है।
- मौसम खराब? उड़ो!
- विजिबिलिटी 500 मीटर? कोई बात नहीं!
- यात्रियों की सुरक्षा? बाद में देखेंगे!
इस गला-काट स्पर्धा में जानें कुर्बान हो रही हैं, लेकिन जवाबदेही तय करने का नाम नहीं लिया जा रहा।
हेलीकॉप्टर हादसा: लापरवाही पर सख्ती जरूरी
केदारनाथ से गुप्तकाशी जा रहे आर्यन एविएशन के हेलीकॉप्टर का हादसा एक बार फिर चारधाम यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस दुखद दुर्घटना में सात लोगों की जान गई, जिनमें एक मासूम बच्ची और पायलट भी शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में खराब मौसम को कारण माना गया, परंतु क्या केवल मौसम को जिम्मेदार ठहराना पर्याप्त है?
आर्यन एविएशन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की FIR दर्ज होना यह स्पष्ट करता है कि लापरवाही केवल प्रकृति की नहीं, मानव प्रणाली की भी थी। BNS की धारा 105 के तहत केस दर्ज कर accountable मैनेजर और अन्य जिम्मेदारों पर कानूनी शिकंजा कसा गया है। यह बेहद जरूरी कदम है ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाह उड़ानों पर रोक लग सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हेलीकॉप्टर सेवाओं पर रोक लगाने और एसओपी को और सख्त करने की बात कही है। यह स्वागत योग्य है, परन्तु अब सिर्फ बयान नहीं, ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही होनी चाहिए। चारधाम यात्रा कोई पर्यटन नहीं, श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है—इसकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
❖ केदारनाथ में पहले भी हुए हैं बड़े हादसे:2013 आपदा के बाद 2015 में पहला बड़ा हेलीकॉप्टर क्रैश – 3 लोगों की मौत।
- 2018 में पवनहंस का हेलीकॉप्टर लैंडिंग के दौरान पलटा – 6 घायल।
- 2022 में केदारनाथ से लौटते हुए आर्यन एविएशन का VT-RLN हेलिकॉप्टर क्रैश – 7 मृतक।
- 2023 में दर्शन के बाद लौट रहे हेलीकॉप्टर की चट्टान से टक्कर – 2 घायल।
- अब 2025 – VT-RPN की दुर्घटना में 7 की जान चली गई।
इन घटनाओं से साफ है कि केदारनाथ हेलीकॉप्टर रूट सबसे खतरनाक बन चुका है, लेकिन सुधार के नाम पर अभी तक केवल हादसों के बाद ‘नोटिस’ और ‘निलंबन’ किए गए हैं।
❖ जिम्मेदार कौन?क्या DGCA की जांच रिपोर्टें कभी सार्वजनिक होंगी?
- क्या हेलीकॉप्टर कंपनियों के बैकग्राउंड वेरिफिकेशन या पायलटों के रिकॉर्ड चेक किए गए थे?
- क्या उत्तराखंड सरकार सिर्फ यात्रियों की भीड़ को संभालने और राजस्व गिनने में लगी है?
❖ समाधान क्या है?पूर्व मौसम पूर्वानुमान आधारित उड़ानों की अनुमति – ऑटोमैटिक सस्पेंशन नियम लागू हो।
- हर उड़ान का रियल-टाइम ट्रैकिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम – UCADA निगरानी करे।
- डेडिकेटेड एयर सेफ्टी ऑडिट टीम – हर 15 दिन में रिव्यू करे।
- पायलट्स के लिए सख्त मेडिकल-मेंटल फिटनेस मानक।
- यात्रियों के लिए पॉलिसी क्लियरेंस और बीमा अनिवार्य।
✍️ हादसे नहीं चेतावनी हैं,यह महज हादसे नहीं, बल्कि सरकार और सिस्टम के लिए चेतावनी हैं। बार-बार की घटनाएं बता रही हैं कि सुधार केवल प्रेस नोट और समीक्षा बैठक से नहीं आएंगे। अगर उत्तराखंड सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो चारधाम यात्रा ‘मोक्ष’ नहीं, ‘मौत की यात्रा’ बनकर रह जाएगी।
👉 Kedarnath Helicopter Crash: हादसों की यात्रा, 2025 सबसे बुरा, अब तक 5 क्रैश; 16 साल में 45 ने गंवाई जान देवभूमि अब त्रासदी भूमि ना बने, इसके लिए नीयत, नीति और निगरानी – तीनों में सुधार जरूरी है।”
