
रुद्रपुर, किच्छा, लालकुआं और हल्द्वानी जैसे व्यस्त औद्योगिक और शैक्षिक नगरों को आपस में जोड़ने वाली सार्वजनिक परिवहन सेवा यदि निष्क्रिय हो जाए, और इसकी जगह प्राइवेट बसों का कब्जा हो जाए—तो यह केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि जनहित के साथ खुला खिलवाड़ है।
23 मई 2025 को जब हल्द्वानी और लालकुआं से सिडकुल तक इंटरसिटी बस सेवा शुरू की गई, तो उम्मीद की गई थी कि यह हज़ारों मज़दूरों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को राहत देगी। लेकिन 13 दिन बाद भी यात्रियों का अपेक्षित रिस्पॉन्स नहीं मिलना कई गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या वास्तव में यात्रियों की कमी है? या फिर प्राइवेट बस ऑपरेटरों और परिवहन विभाग की मिलीभगत के चलते इस योजना को पंगु बना दिया गया है?


1. रुद्रपुर और हल्द्वानी: सड़क पर दोहरी व्यवस्था, जनता फंसी मारामारी में
रुद्रपुर और हल्द्वानी के रोडवेज डिपो हर रोज़ खाली बसों के रजिस्टर भरते हैं, जबकि उन्हीं डिपो के सामने से हर आधे घंटे में प्राइवेट मिनी बसें यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर भर कर ले जा रही हैं। यात्रियों की कमी की बात केवल एक बहाना है, हकीकत यह है कि रोडवेज ने खुद ही मैदान प्राइवेट बस ऑपरेटरों के लिए खाली छोड़ दिया है।
हल्द्वानी रोडवेज के बाहर प्राइवेट बसों की लंबी कतारें लगती हैं जो रुद्रपुर, सिडकुल, किच्छा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों के लिए हर 15-30 मिनट में फुल होकर चलती हैं। अगर यही सवारियां रोडवेज को नहीं मिल रही हैं, तो गलती सवारियों की नहीं, सिस्टम की है।
2. परिवहन निगम की शॉर्टकट नीति: सुविधाएं नहीं, सिर्फ़ बहाने
उत्तराखंड परिवहन निगम की नीतियों पर अगर कोई गंभीर समीक्षा की जाए तो सामने आएगा कि संस्था अपने ही अधिकार क्षेत्र में प्रभावहीन होती जा रही है। कहीं बसें समय पर नहीं चलतीं, कहीं चालक और परिचालक नहीं मिलते, और कहीं सवारियों की कमी का बहाना बना लिया जाता है।
लेकिन इसी बीच निजी बसें बिना परमिट, बिना समय सारणी के बेधड़क चलती हैं, किराया वसूलती हैं और प्रशासन की आंखों में धूल झोंकती हैं। क्या यह सब बिना मिलीभगत के संभव है? क्या यह प्रश्न जांच का विषय नहीं होना चाहिए कि आखिर क्यों रोडवेज की नई इंटरसिटी योजना को जानबूझकर फेल किया जा रहा है?
3. किच्छा-रुद्रपुर-लालकुआं की जरूरतें और योजनाओं का टोटा
रोजाना सैकड़ों छात्र, शिक्षक, मजदूर, कर्मचारी और व्यापारी इन शहरों के बीच आवाजाही करते हैं। खासकर किच्छा के कॉलेज और सिडकुल की कंपनियों में काम करने वाले युवाओं की मांग है कि रुद्रपुर और किच्छा से सीधे हल्द्वानी तक इंटरसिटी सेवा होनी चाहिए।
परंतु विडंबना यह है कि जिस जगह सबसे ज्यादा मांग है, वहां रोडवेज की योजना तक नहीं बनती, और जहां सेवा शुरू होती है, वहां ठीक से प्रचार नहीं होता। इससे स्पष्ट होता है कि बसों का संचालन कोई यात्री सुविधा आधारित नीति नहीं, बल्कि “जहां सुविधा मिले वहां बस चलाओ” जैसी सुविधा-सिद्ध मानसिकता से हो रहा है।
4. सवाल व्यवस्था से: कौन है जिम्मेदार?
- जब प्राइवेट बसें हल्द्वानी रोडवेज परिसर के बाहर खुलेआम यात्री भरती हैं तो क्यों नहीं की जाती जांच?
- क्यों रोडवेज अधिकारियों द्वारा बार-बार यात्रियों की कमी का बहाना दिया जाता है जबकि सवारियां प्राइवेट बसों में जा रही हैं?
- क्यों इंटरसिटी बसें सिर्फ सिडकुल तक सीमित कर दी गईं, रुद्रपुर-हल्द्वानी या किच्छा-हल्द्वानी जैसे ज़्यादा व्यस्त रूट पर कोई सेवा नहीं शुरू हुई?
- क्या यह जानबूझकर रोडवेज को फेल करने की सोची-समझी रणनीति है?
इन सवालों का जवाब देने के लिए उच्च स्तरीय जांच अनिवार्य है। विशेष रूप से रुद्रपुर, किच्छा, हल्द्वानी, लालकुआं के परिवहन संचालन की गहन समीक्षा होनी चाहिए।
5. समाधान क्या हो सकता है?
- नियमित और सुगम इंटरसिटी बस सेवा: रुद्रपुर, किच्छा से हल्द्वानी तक हर घंटे एक बस चलानी चाहिए, जो शैक्षणिक संस्थानों और कार्यालयों के समय से मेल खाती हो।
- प्रचार-प्रसार पर ध्यान: यात्रियों को सही जानकारी देने के लिए बसों के टाइम टेबल का प्रचार स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर किया जाना चाहिए।
- प्राइवेट बसों की निगरानी: अवैध संचालन और अतिक्रमण को रोकने के लिए परिवहन विभाग को सक्रिय रूप से मैदान में उतरना होगा।
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ऑनलाइन टिकटिंग और रूट ट्रैकिंग: बसों को तकनीकी रूप से सक्षम करना आवश्यक है ताकि लोग भरोसे के साथ रोडवेज सेवा को चुनें।जनता की सेवा में बनी उत्तराखंड रोडवेज यदि अपने ही घर के सामने से गुजरती सवारियों को देखने में असमर्थ हो जाए, तो यह केवल एक विभागीय चूक नहीं बल्कि जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात है। रुद्रपुर से हल्द्वानी और किच्छा से हल्द्वानी के बीच इंटरसिटी बस सेवा को चालू करना न केवल आवश्यक है, बल्कि अब यह जनमानस की मांग बन चुकी है।अगर सरकार और विभाग अब भी नहीं जागे तो एक दिन जनता यह सवाल करेगी — “क्या रोडवेज अब केवल सरकारी रजिस्टर में चलने वाली एक निष्क्रिय योजना बनकर रह जाएगी?”
✍ विशेष अनुरोध:उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि वह सिडकुल, किच्छा और हल्द्वानी को जोड़ने वाली इंटरसिटी सेवाओं को मजबूती से पुनः प्रारंभ करे और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करे।
© 2025 Hindustan Global Times | संवाददाता: अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर
