
हिन्दू धर्म की आड़ में पाखंड फैलाने और भोली-भाली जनता को ठगने वालों के विरुद्ध उत्तराखंड सरकार का ‘ऑपरेशन कालनेमि’ एक स्वागतयोग्य पहल है। रामायण के राक्षस कालनेमि के नाम पर चला यह अभियान सरकार की उस मंशा को दर्शाता है, जिसमें आस्था को ठगों की दुकान बनने से रोका जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कहा है कि यह कार्रवाई महिलाओं को ठगने और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाने वालों पर लगाम लगाने के लिए है।
लेकिन, अभियान की जमीनी हकीकत कुछ और संकेत दे रही है। ताजा आँकड़े बताते हैं कि राज्यभर में अब तक 250 से ज्यादा “कालनेमि” पकड़े गए। मगर इनमें से अधिकतर को कुछ ही घंटों में जमानत पर छोड़ना पड़ा, क्योंकि जिन धाराओं में उन्हें पकड़ा गया, उनमें जेल भेजने का प्रावधान ही नहीं। केवल एक बांग्लादेशी युवक पर विदेशी अधिनियम के तहत कार्रवाई हुई, और वही जेल गया।संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!सबसे गंभीर सवाल यह है कि क्या यह अभियान पाखंडियों तक सीमित रह पाया है? या फिर इसमें सामान्य साधु, भिक्षुक और ग़रीब भी पुलिस के जाल में आ रहे हैं? कई जिलों में आंकड़े बढ़ाने की होड़ में ऐसे लोगों पर भी कार्रवाई हो रही है जो सिर्फ भिक्षा मांगकर गुजारा करते हैं। इससे अभियान की विश्वसनीयता पर आंच आना स्वाभाविक है।बेशक, धर्म का अपमान करने, महिलाओं को बहला-फुसलाकर ठगने और अंधविश्वास फैलाने वाले ‘ढोंगी बाबा’ पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन साथ ही पुलिस को यह भी देखना होगा कि धर्म की सादगी में जीवन बिता रहे साधु-संत इस अभियान की चपेट में न आ जाएं। अन्यथा ‘ऑपरेशन कालनेमि’ जैसे गंभीर प्रयास का उद्देश्य ही संदिग्ध हो जाएगा।सरकार को चाहिए कि ऐसे अभियानों के लिए ठोस कानूनी प्रावधान तैयार करे ताकि गिरफ्तार आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई संभव हो सके। साथ ही कार्रवाई का दायरा स्पष्ट हो, जिससे सच्चे साधु-संतों की गरिमा और जनविश्वास सुरक्षित रहे।


संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!
ऑपरेशन कालनेमि पर उठे सवाल, 250 गिरफ्तार, पर जेल भेजे गए सिर्फ एक बांग्लादेशी नागरिक
देहरादून। उत्तराखंड में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के तहत पुलिस ने अब तक करीब 250 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इनमें से अधिकांश को अदालत से तुरंत जमानत मिल गई क्योंकि जिस धारा में कार्रवाई हो रही है, उसमें जेल भेजने का प्रावधान नहीं है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि अभियान का उद्देश्य धार्मिक आस्था का दुरुपयोग कर ठगी करने वालों, खासकर महिलाओं को निशाना बनाने वालों और सामाजिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचाने वालों पर लगाम लगाना है। अभियान की शुरुआत 10 जुलाई को हुई थी।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक देहरादून में 82, हरिद्वार में 45 और ऊधमसिंह नगर में 66 लोग इस कार्रवाई में पकड़े गए हैं। इनमें एक बांग्लादेशी नागरिक शाह आलम भी शामिल है, जिसे सहसपुर थाना क्षेत्र से पकड़ा गया। पुलिस ने बताया कि शाह आलम अवैध रूप से भारत में रह रहा था। उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम में मामला दर्ज कर उसे सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है और डिपोर्ट की प्रक्रिया चल रही है।
बाकी आरोपियों पर शांति भंग करने संबंधी धाराओं में (धारा 170 बीएनएस) कार्रवाई की गई, जिनमें जेल भेजने का प्रावधान नहीं है। सभी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने के बाद जमानत मिल गई।
हालांकि अभियान पर सवाल भी उठ रहे हैं। आरोप है कि असली ढोंगी बाबाओं के बजाय साधु-संतों के भेष में भिक्षा मांगने वाले गरीब लोग भी पुलिस कार्रवाई की जद में आ रहे हैं। कुछ जिलों में आंकड़ेबाजी की होड़ में पुलिस ने ऐसे साधुओं को भी गिरफ्तार किया जो किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं थे।
इस पर पुलिस का कहना है कि कार्रवाई पूरी तरह तथ्यों के आधार पर हो रही है और किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा।

