हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस महीने में भोलेनाथ के स्वरूप शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, फल और मिठाई जैसे प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, लेकिन एक प्रचलित मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद का सेवन नहीं करना चाहिए।

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दरअसल, इसके पीछे शास्त्रों में कुछ कारण बताए गए हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को ग्रहण करने से जीवन में दुख, दरिद्रता और अशांति आती है। साथ ही व्यक्ति को कष्ट भी भोगने पड़ते हैं।

शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को क्यों नहीं खाना चाहिए?
शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद भगवान शिव के गण चंडेश्वर को समर्पित होता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के मुख से चंडेश्वर नामक एक गण प्रकट हुआ था, जिसे भूत-प्रेतों और शिवगणों का अधिपति नियुक्त किया गया था। इसी कारण शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को चंडेश्वर का अंश माना जाता है। शिवपुराण में एक श्लोक है, जिसमें इसका उल्लेख किया गया है।

‘लिंगस्योपरि दत्तं यत्, नैवेद्यं भूतभावनम्। तद्भुक्त्वा चण्डिकेशस्य, गणस्य च भवेत् पदम्।’
इसका अर्थ है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद चण्डेश्वर को समर्पित होता है और इसे ग्रहण करने वाला व्यक्ति प्रेत लोक को प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा प्रसाद खाने से नकारात्मकता, मानसिक तनाव या अन्य परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसी कारण, पत्थर, मिट्टी या चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद खाने से मना किया गया है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसे प्रसाद को नदी या जलाशय में प्रवाहित कर देना चाहिए या जानवरों को खिला देना चाहिए, क्योंकि धार्मिक दृष्टि से इसे पुण्यकारी माना जाता है।

कौन सा प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है?
सामान्य नियमानुसार, शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में शास्त्र इसकी अनुमति देते हैं। धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों के मतानुसार, कुछ प्रकार के शिवलिंगों पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है।

धातु शिवलिंग: ताँबा, चाँदी, सोना या पीतल जैसी धातुओं से बने शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद चण्डेश्वर का भाग नहीं माना जाता। इसे भगवान शिव का अंश माना जाता है और इसे खाने से कोई पाप नहीं लगता। भक्तजन धातु के शिवलिंग पर चढ़ाए गए प्रसाद को श्रद्धापूर्वक ग्रहण कर सकते हैं और उसे घर भी ले जा सकते हैं।

पारद शिवलिंग: पारद शिवलिंग अत्यंत पवित्र और सिद्ध माना जाता है। इस पर चढ़ाया गया प्रसाद भी दोषरहित होता है और इसे ग्रहण किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार, पारद शिवलिंग का प्रसाद खाने से पापों का नाश होता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

शालिग्राम के साथ शिवलिंग की पूजा: यदि भगवान शालिग्राम की पूजा शिवलिंग के साथ की जाए, तो उस शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद, चाहे वह किसी भी सामग्री से बना हो, भक्ष्य हो जाता है। शालिग्राम भगवान विष्णु का एक रूप हैं और उनकी उपस्थिति से प्रसाद शुद्ध हो जाता है।

सिद्ध संतों द्वारा स्थापित शिवलिंग: कुछ विद्वानों का मानना है कि किसी संत या सिद्ध पुरुष द्वारा स्थापित शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद भी ग्रहण करने योग्य होता है, क्योंकि ऐसी पूजा में विशेष आध्यात्मिक शक्ति होती है।

भगवान शिव की मूर्ति पर प्रसाद चढ़ाना: शास्त्रों में स्पष्ट है कि भगवान शिव की मूर्ति (प्रतिमा) पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है। यह शिवलिंग के प्रसाद से भिन्न होता है और इसे खाने से पापों का नाश होता है।

शिव को प्रसाद चढ़ाते समय ये कार्य करें
भगवान शिव को सदैव सात्विक वस्तुएँ जैसे फल, मिठाई, दूध या बेलपत्र अर्पित करने चाहिए। शिवलिंग पर तामसिक भोजन (जैसे मांस या मदिरा) चढ़ाना वर्जित है।
यदि प्रसाद ग्रहण नहीं करना है, तो उसे किसी नदी या जलाशय में प्रवाहित कर देना चाहिए। इसे फेंकना या इसका अपमान करना अशुभ माना जाता है।
शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। जलाभिषेक, बेलपत्र और अन्य सामग्री अर्पित करते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
शिवलिंग पर जल या प्रसाद चढ़ाते समय भक्त का मुख पूर्व, उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं भगवान शिव के लिए विशेष मानी जाती हैं।

✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

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