इनमें से सदस्य जिला पंचायत के 358 पद, सदस्य क्षेत्र पंचायत के 2974 पद और ग्राम प्रधानों के 7499 पद शामिल हैं। इसके साथ ही 12 जिलों में 28 जून से प्रभावी आचार संहिता शुक्रवार शाम छह बजे समाप्त हो गई।.✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स । उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
दो चरणों में हुआ था मतदान
प्रदेश में इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दो चरणों में 24 और 28 जुलाई को कराए गए थे। दोनों चरणों में कुल 69.16 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत अधिक रहा। पुरुषों ने 64.23 प्रतिशत और महिलाओं ने 74.42 प्रतिशत वोट डाले। पहली बार राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर परिणामों के साथ पल-पल का अपडेट भी दिया गया।


देर रात तक चलता रही मतगणना
गुरुवार सुबह आठ बजे प्रदेश के सभी ब्लाक मुख्यालयों पर मतों की गणना शुरू हुई, जो शुक्रवार दोपहर तक जारी रही। गुरुवार को सुबह नौ बजे से परिणाम आने शुरू हो गए थे। इसके साथ ही विजयी प्रत्याशियों के समर्थकों ने मतगणना केंद्रों के बाहर मिष्ठान वितरण करने के साथ ही अबीर-गुलाल उड़ा कर जश्न मनाना शुरू कर दिया था। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। शुक्रवार देर शाम राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार की ओर से आचार संहिता समाप्त किए जाने की घोषणा की गई।
पंचायतों में 1607 प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए
पंचायत चुनाव के इस उत्सव में कई ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों ने बड़ा दिल दिखाते हुए बिना किसी चुनावी तामझाम के निर्विरोध अपने प्रतिनिधि चुने। इनमें 12 जिलों में प्रधान पद पर कुल 1360, सदस्य क्षेत्र पंचायत पद पर 240 और सदस्य जिला पंचायत पद पर सात उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए।
रिक्त रह गए प्रधान और बीडीसी के 22 पद
पंचायत चुनाव में विभिन्न कारणों से प्रधान के 20 और सदस्य क्षेत्र पंचायत के दो पद रिक्त रह गए। इन पदों पर अब पुनर्मतदान होगा। प्रधान पद पर पिथौरागढ़ जिले में एक, उत्तरकाशी में एक, चमोली में छह, टिहरी में दो और पौड़ी में चार पद रिक्त रह गए। जबकि सदस्य क्षेत्र पंचायत पद पर उत्तरकाशी और चमोली में एक-एक पद रिक्त रह गए।
आयोग ने वेबसाइट पर जारी किए रिजल्ट
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पहली वेबसाइट के डैशबोर्ड पर परिणाम जारी किए। इस दौरान डेशबोर्ड पर मतगणना के हिसाब से लगातार सभी पदों के परिणाम पूरी जानकारी के साथ जारी किए गए। इससे चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के साथ ही उनके समर्थकों को भी काफी राहत मिली।

