
औद्योगिक नगरी रुद्रपुर की पहचान अक्सर मशीनों की आवाज़ और उत्पादन केंद्रों के कारण होती है, लेकिन जब सिडकुल गणपति महोत्सव का आयोजन होता है तो यह नगरी पूरी तरह भक्ति और संस्कृति से सराबोर हो जाती है। इस वर्ष महोत्सव ने अपने 14वें पड़ाव को पार करते हुए एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक चेतना केवल मंदिरों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज की धड़कन बन चुकी है।

✍️ विशेष रिपोर्ट गणपति महोत्सव में नेताओं का संबोधन : मोदी के सानिध्य की ऐतिहासिक झलक
रुद्रपुर। सिडकुल गणपति महोत्सव के पंडाल में भक्ति और संस्कृति के बीच जब राजनीतिक नेतृत्व की आवाज़ गूंजी तो वातावरण और भी विशेष बन गया। इस अवसर पर रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा तथा किच्छा के पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया। दोनों नेताओं ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि गणपति बप्पा केवल आस्था के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि सामूहिक एकता, सामाजिक सद्भाव और विकास की प्रेरणा भी देते हैं।
विधायक शिव अरोड़ा ने कहा कि औद्योगिक नगरी रुद्रपुर में गणपति महोत्सव का स्वरूप अब पूरे शहर का साझा पर्व बन चुका है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली और सांस्कृतिक दृष्टि का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व में देश ने आस्था और विकास को साथ लेकर चलने का मार्ग पाया है। यही भाव सिडकुल महोत्सव में भी दिखाई देता है।
पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने अपने संबोधन में स्मरण कराया कि जब-जब प्रधानमंत्री मोदी के सानिध्य में उत्सव और कार्यक्रम हुए हैं, तब-तब उन्होंने समाज को नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि गणपति महोत्सव का यह आयोजन भी उसी ऐतिहासिक परंपरा की कड़ी है, जहाँ भक्ति और राष्ट्र निर्माण की चेतना एक साथ प्रवाहित होती है।
दोनों नेताओं के उद्बोधनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया कि गणपति बप्पा की पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि “सबका साथ, सबका विकास” की भावना को आत्मसात करने का अवसर है। इस अवसर पर पंडाल तालियों और जयघोषों से गूंज उठा, मानो भक्ति और नेतृत्व एक ही सूत्र में पिरो गए हों।

रुद्रपुर, 29अगस्त | अवतार सिंह बिष्ट
(हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर – अध्यक्ष: उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद)

पंडाल में विराजमान विघ्नहर्ता?सिडकुल क्षेत्र स्थित भव्य पंडाल में गणपति बप्पा की मनमोहक प्रतिमा विराजमान है। चारों ओर सजे फूल, रंग-बिरंगी लाइटें और भक्तों की भीड़ पंडाल को एक आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र में बदल देती हैं। सुबह और शाम की आरती के दौरान ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरा वातावरण गणेश स्तुति से आलोकित हो गया हो।
भक्ति और संस्कृति का संगम – मंच पर कार्यक्रम?पंडाल में केवल पूजा-अर्चना ही नहीं हो रही, बल्कि मंच पर प्रस्तुत हो रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम इसे और भी जीवंत बना रहे हैं।
- स्कूलों के बच्चों ने पारंपरिक वेशभूषा में गणपति वंदना और लोकनृत्य प्रस्तुत कर तालियों की गड़गड़ाहट बटोरी।
- स्थानीय कलाकारों ने भजन-कीर्तन के माध्यम से पंडाल को भक्ति रस से भर दिया। “जय गणेश, जय गणेश…” जैसे मंत्रों की गूंज ने श्रद्धालुओं के मन को शांति दी।
- महिलाओं के समूहों ने कुमाऊँनी और मराठी लोकधुनों पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किए, जिससे पंडाल का माहौल परंपरा और आधुनिकता दोनों का संगम बन गया।
श्रद्धालुओं का उत्साह और भीड़?हर आयु वर्ग के लोग—बच्चे, युवा, बुजुर्ग—सभी पंडाल में उपस्थित होकर भक्ति का आनंद ले रहे हैं। परिवारों के साथ बैठकर लोग आरती में शामिल हो रहे हैं और मंच पर हो रही प्रस्तुतियों को देखकर भाव-विभोर हो रहे हैं। भीड़ अधिक होने के बावजूद समिति द्वारा की गई सुदृढ़ व्यवस्थाओं ने अनुशासन और शांति बनाए रखी।
समिति की भूमिका – समर्पण का परिचायक?सिडकुल गणपति महोत्सव समिति ने पूरे आयोजन को इस तरह सजाया है कि कहीं भी अव्यवस्था दिखाई नहीं देती। मंच संचालन से लेकर सुरक्षा और साफ-सफाई तक हर क्षेत्र में स्वयंसेवक सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। यह केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामूहिक समर्पण और संगठन क्षमता का भी उदाहरण है।
तीसरे दिन की खास झलकियाँ (लाइव )आज महोत्सव के तीसरे दिन का कार्यक्रम और भी आकर्षक रहा। जैसे ही शाम ढली, पंडाल रोशनी से जगमगाने लगा और मंच पर कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।बच्चों की गणपति वंदना से शुरुआत हुई।इसके बाद शास्त्रीय नृत्य और बॉलीवुड गीतों पर प्रस्तुति ने माहौल को जोशीला बना दिया।
आगे का इंतज़ार – विसर्जन का पर्व?अब सभी भक्तों को 31 अगस्त का इंतज़ार है, जब गणपति विसर्जन की शोभा यात्रा के साथ यह महोत्सव अपने चरम पर पहुँचेगा। समिति ने श्रद्धालुओं से परिवार सहित शामिल होने की अपील की है।
सिडकुल गणपति महोत्सव अब केवल औद्योगिक क्षेत्र के कर्मचारियों का आयोजन नहीं, बल्कि पूरे रुद्रपुर शहर का साझा पर्व बन चुका है। यह महोत्सव हमें सिखाता है कि जहाँ आस्था और संस्कृति मिल जाएं, वहाँ समाज स्वतः ही मजबूत हो जाता है।

रुद्रपुर की औद्योगिक पहचान के बीच जब गणपति महोत्सव का आयोजन होता है तो यह केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना का उत्सव बन जाता है। इस परिवर्तन के पीछे जिस शक्ति का सबसे बड़ा योगदान है, वह है सिडकुल गणपति महोत्सव समिति। पिछले 14 वर्षों से यह समिति न केवल आयोजन का दायित्व निभा रही है, बल्कि शहर में आस्था और संस्कृति का दीप भी प्रज्वलित कर रही है।
मुख्य अतिथि के रूप में SSP उधम सिंह नगर मणिकांत मिश्रा, किच्छा पूर्व विधायक राजेश शुक्ला
समिति का कार्य केवल पंडाल सजाने या कार्यक्रम कराने तक सीमित नहीं है। यह आयोजन दरअसल एक सामाजिक साधना है—जहाँ उद्योगपतियों से लेकर श्रमिक वर्ग तक, महिलाएँ, युवा और बच्चे, सब मिलकर एक ही छत के नीचे गणपति बप्पा की आराधना करते हैं। यही सामूहिकता इस महोत्सव की सबसे बड़ी शक्ति है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी समिति ने पंडाल की व्यवस्थाओं, सुरक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भक्ति-मय वातावरण को जिस सधेपन से संभाला है, वह अनुकरणीय है। जब शाम को आरती के समय सैकड़ों लोग एक स्वर में “गणपति बप्पा मोरया” का उद्घोष करते हैं, तो यह केवल धार्मिक जयघोष नहीं, बल्कि एकता और सामूहिक शक्ति का प्रतीक बन जाता है।
समिति के प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया है कि औद्योगिक नगरी केवल उत्पादन की जगह नहीं, बल्कि संस्कार और संस्कृति की भूमि भी है। मंच पर बच्चों की नृत्य-प्रस्तुतियाँ हों या महिलाओं का सामूहिक भजन, हर प्रस्तुति के पीछे समिति का परिश्रम और संगठन स्पष्ट झलकता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो गणपति महोत्सव हमें यह शिक्षा देता है कि जीवन में चाहे कितनी भी बाधाएँ आएं, सामूहिक प्रार्थना और सकारात्मक ऊर्जा से हर विघ्न दूर किया जा सकता है। समिति ने इस संदेश को व्यवहारिक रूप देकर शहर में भक्ति और सामाजिक एकता का माहौल बनाया है।
- टाटा मोटर्स प्लांट हेड श्री महेश सुगुरू
- बजाज ऑटो प्लांट हेड श्री अरुण टोंक
- टाइटन प्लांट हेड श्री संजय सिंघल
- टाटा मोटर्स श्री प्रदीप सांगवान
- SEWS प्रेसिडेंट श्री श्रीखर सिंह
- साथ ही प्रमुख संयोजकों और सहयोगियों में मिंडा प्लांट हेड LM जोशी,श्री अजय तिवारी, रवि सिंह,श्री कुशल अग्रवाल, विष्णु दत्त, तेजराम बघेल,विजय ढ़ोडीयाल,पीबीएस रावत, बी,एल चोमवाल, दिलीप सिंह, विनय तिवारी,ललित जोशी, सीए हरनाम चौधरी, विकार नकवी, देवेंद्र शाही, विक्रांत फुटेला, डॉ वीरपाल सिंह, सुनील शुक्ला, संजय ढ़ोडियाल, दिलीप सिंह, बृजेश तिवारी, आशीष मिड्डा, सुमेश राय, जीवन सिंह खाती, महेंद्र पोपली, हरीश कनोडिया, विनय कुमार दुबे, आदित्य कुमार, रविंद्र सिंह, ठाकुर रवि सिंह, हितेश लालवानी,दीपेश चौहान, विश्वजीत चक्रवर्ती, रवि अग्रवाल, राकेश पांडे, राजेश मिश्रा, राजेश मंडल, दिलीप सिंह, संदीप सैनी, दीपक सोनी, हरविन्द्र सिंह चुघ, शरद अग्रवाल, मनोज सक्सेना, पंकज, सुनील पिपले, नफीस अहमद, अनूप सिंह, संतोष रगोड़े, हरीश गौरव, अमित गर्ग, माहेश्वरी जी, अनित सिंह, ओमप्रकाश वर्मा, मयंक श्रीवास्तव, दिनेश जोशी, मनीष भट्ट, प्रीति, रूबी, राजेश सैनी, नितिन गुप्ता, हिमांशु, आनंद दास, बालेंदु, यासमीन, कविता, मोहिनी बिष्ट,मनीषा भट्ट,अंजली ढ़ोडीयाल , स्वेता ढ़ोडीयाल, समेत बड़ी संख्या में सिडकुल परिवार और नगरवासी शामिल हुए।
निस्संदेह, सिडकुल गणपति महोत्सव समिति केवल आयोजन समिति नहीं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक आत्मा बन चुकी है। इस समिति का कार्य हमें यह प्रेरणा देता है कि जब समाज एक साथ चलने का निश्चय कर ले, तो हर आयोजन आध्यात्मिक यज्ञ और हर प्रयास विघ्नहर्ता गणपति को समर्पित साधना बन जाता है।


