संपादकीय लेख:चमोली में बारिश का कहर: पिंडर और धौलीगंगा की गर्जना के बीच दहशत, प्रशासन और जनता के सामने चुनौती

Spread the love

चमोली जनपद इस समय भीषण आपदा जैसी स्थिति से जूझ रहा है। पिंडर नदी उफान पर है, देवाल ब्लॉक के गांवों में रातभर बारिश से दहशत का माहौल है, और थराली क्षेत्र के मोपटा गांव में बादल फटने की घटना ने हालात और भी गंभीर बना दिए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बादल फटने के बाद से लगातार बारिश हो रही है, जिससे लोगों को घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। खेत, रास्ते और छोटे पुलिया बह गए हैं, जबकि निचले इलाकों में रहने वाले लोग सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे हैं।

शैल ग्लोबल टाइम्स, मुख्य संपादक, मोहिनी बिष्ट,द बोरागाढ़ चमोली

देवाल ब्लॉक के गांव—चेपड़ों, थराली, मोपटा में बादल फटने से तबाही हो चुकी है: वाण,नारायणबगड़, हिमनी, कलगोठ, लिगड़ी ,बोरागाढ़, चोड, पोखरीगाढ़ लोहाजंग, कंडी, खुनी, ग्वालदम, फल्दिया, पिलखी, धुरका, बैंतोली, हरमनी, बलोटी, चोपता, तलौर, मलकोटी, सिरसो, जुनी, ठेली, पाना, और अनेक छोटे गांव—लगातार बारिश की चपेट में हैं। पिंडर और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ने से इन गांवों के लोगों को प्रशासन ने अलर्ट पर रखा है।

सबसे चिंताजनक स्थिति ज्योतिर्मठ-मलारी राजमार्ग पर सामने आई, जहां तमक नाले पर बना सीमेंट-कंक्रीट का पुल भारी बारिश और बाढ़ में बह गया। इस पुल के बहने से तमक से आगे नीति घाटी के दर्जनों जनजातीय गांव—जैसे जुम्मा, सुराहीथोटा, मालारी, बैराग, नीती और आसपास के गांव—का संपर्क टूट गया है। यही नहीं, सीमा पर तैनात सैनिक और अर्धसैनिक बल भी अब स्थायी मोटर मार्ग से कट गए हैं। याद रहे कि तीन वर्ष पूर्व जुम्मा मोटर पुल भी इसी तरह बाढ़ की भेंट चढ़ गया था।

वहीं दूसरी ओर, बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी दो स्थानों—भनीरपानी और पागलनाला—पर मलबा आने से अवरुद्ध है। चमोली और ज्योतिर्मठ के बीच आवाजाही पूरी तरह से प्रभावित है और प्रशासन मशीनरी लगाकर मलबा हटाने का प्रयास कर रहा है। इसी तरह कुंड-चमोली राष्ट्रीय राजमार्ग बैरागना के समीप भूस्खलन से बंद हो गया है। ज्योतिर्मठ क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बाधित होने से स्थानीय लोग और अधिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

एक सितंबर को देहरादून, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल में अत्यधिक बारिश होने के कारण रेड अलर्ट और बाकी जिलों के येलो अलर्ट जारी किया है। दो सितंबर को भी देहरादून, चमोली, बागेश्वर जिलों में अधिक बारिश के कारण रेड व बाकी जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है।

जानकारी के अनुसार, अपर बाजार रोड पर कई जगह भूस्खलन से मलबा आ गया है। नारायणबगड़ बसस्टैंड मुख्य बाजार में भू धंसाव के चलते दो दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। बाजार के पास हाईवे भी धंसने लगा है। कर्णप्रयाग गोचर के कमेड़ा में पहाड़ी से मलबा आने से रास्ता बंद है। तहसील जिलासू के राप्रवि सेमी गवाड़ के पास भी भारी भूस्खलन हुआ है। क़ृषि भूमि बर्बाद हो गई है।

मौसम विभाग की चेतावनी और सतर्कता
भारतीय मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के लिए चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। लोगों को नदियों और नालों से दूर रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने और पहाड़ी ढलानों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने बचाव दलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं और ग्रामीणों को ऊँचाई वाले सुरक्षित स्थलों पर जाने की अपील की है।

बारिश का दौर थम ही नहीं रहा। शनिवार देर रात हुई बारिश के चलते कर्णप्रयाग मे जगह-जगह की भूसखलन की घटनाएं सामने आई हैं। बारिश के चलते कर्णप्रयाग अपर बाजार में भारी मलबा आने से नैनीताल-कर्णप्रयाग हाईवे बंद हो गया है।

मुख्यमंत्री ने आपदा से क्षति के आकलन के दृष्टिगत जल्द सर्वे कराने और इसके लिए विभिन्न विभागों की टीम गठित करने के निर्देश दिए, ताकि इस कार्य को जल्द पूरा किया जा सके और पुनर्निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ हो सकें। इस दौरान आयुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडे, आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, सचिव लोक निर्माण विभाग पंकज पांडेय के साथ ही अन्य अधिकारियों ने आनलाइन बैठक से जुड़े।

मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों की ओर से किए जा रहे आपदा राहत एवं बचाव कार्यों के लिए उनके नेतृत्व क्षमता की सराहना की और कहा कि ब्लाक तथा तहसील स्तर के अधिकारियों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों तक समय पर सही सूचनाएं तथा अलर्ट पहुंचें, यह बहुत जरूरी है। आपदाओं से क्षति के न्यूनीकरण के लिए सामुदायिक सहभागिता तथा लोगों का जागरूक होना आवश्यक है।

संपादकीय दृष्टिकोण
यह घटनाक्रम केवल प्राकृतिक आपदा का संकेत नहीं है, बल्कि हमारी विकास योजनाओं और आपदा प्रबंधन की तैयारी पर भी सवाल उठाता है। हर साल बरसात में पुल और सड़कें बह जाती हैं, गांवों का संपर्क टूट जाता है और जनता को जान हथेली पर रखकर जीना पड़ता है। क्या हमारी योजनाएं सिर्फ अस्थायी समाधान भर हैं? जब सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक और सैनिक ही बार-बार संपर्क से कट जाते हैं, तो यह न केवल विकास की विफलता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न है।

इस वक्त आवश्यकता है कि—

  1. आपदा प्रबंधन प्रणाली को मजबूत किया जाए और गांव-गांव में त्वरित अलर्ट तंत्र विकसित हो।
  2. स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए, जो हर बार बाढ़ और भूस्खलन में न बह जाए।
  3. ग्रामीणों की सुरक्षित पुनर्वास योजना बनाई जाए, ताकि वे बार-बार तबाही का शिकार न हों।
  4. मौसम विभाग की चेतावनियों पर सख्ती से पालन किया जाए और प्रशासन सतर्कता अभियान चलाए।

चमोली की यह त्रासदी हमें फिर यह याद दिलाती है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ का परिणाम हमेशा गंभीर होता है। यदि हमने अपनी नीतियों और योजनाओं को पहाड़ों की संवेदनशीलता के अनुसार नहीं बदला, तो हर साल यह सिलसिला और भी भयावह रूप लेगा।

इस समय चमोली की जनता को प्रशासन और समाज दोनों के सहयोग की आवश्यकता है। सतर्कता, संवेदनशीलता और दीर्घकालिक योजना ही पहाड़ को आपदाओं से बचाने का मार्ग है।



Spread the love