
रुद्रपुर जब समाज सेवा का भाव आत्मा से जुड़ता है, तो वह अभियान बन जाता है और जब ऐसे अभियानों को जनसहयोग मिलता है, तो वह प्रेरणा की मिसाल बन जाते हैं। ऐसा ही एक प्रेरणादायक आयोजन रुद्रपुर सांस्कृतिक मंच ने किया – एक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर, जो न सिर्फ जरूरतमंदों के लिए जीवनदायिनी पहल साबित हुआ, बल्कि समाज में मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी का भी जीवंत प्रमाण बना।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
रक्तदान: मानवता का सबसे महान पुण्य?पांच मंदिर परिसर में आयोजित इस रक्तदान शिविर का शुभारंभ खुद रुद्रपुर के महापौर विकास शर्मा ने किया, जिन्होंने रक्तदाताओं को ‘रक्तवीर’ की संज्ञा देते हुए कहा, “रक्तदान मानवता की सच्ची सेवा है। यह ऐसा महादान है जो बिना किसी भेदभाव के किसी अनजान व्यक्ति की जान बचाने की शक्ति रखता है।”
उन्होंने भ्रम दूर करते हुए यह भी बताया कि रक्तदान से शरीर को कोई हानि नहीं होती, बल्कि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता, हृदय स्वास्थ्य, और शरीर की ऊर्जा में सुधार होता है। डॉक्टरों के अनुसार, नियमित रक्तदान करने वाले लोग अधिक स्वस्थ रहते हैं और कई गंभीर बीमारियों से भी सुरक्षित रहते हैं।
संस्था की टीम ने रचा सेवा का इतिहास?रुद्रपुर सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष अमित बांगा, महामंत्री मोहित बत्रा और कोषाध्यक्ष रितेश मनोचा की सक्रियता और सेवा भाव इस आयोजन की रीढ़ बने। महापौर ने मंच की पूरी टीम की भूरि-भूरि सराहना करते हुए कहा, “ऐसे युवाओं की जरूरत आज समाज को है, जो स्वार्थ से ऊपर उठकर जनसेवा के लिए कार्य करें।”
रक्तवीरों का हुआ सम्मान, बनी मिसाल?इस रक्तदान शिविर में 40 लोगों ने रक्तदान कर समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। महापौर विकास शर्मा ने सभी रक्तदाताओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया, जिससे उनमें गर्व और प्रेरणा का संचार हुआ।
यह शिविर एक सामाजिक चेतना का वाहक बन गया, जिसमें शामिल लोगों में केवल कृष्ण बतरा, सुधांशु गावा, पार्षद चिराग कालरा, आशीष चानना, राजेश कामरा, सोनू चावला, जतिन नागपाल, सोनू खुराना, सिद्धार्थ सरदाना, जैसे कई युवा चेहरे शामिल थे, जिन्होंने इस पावन कार्य में अपने रक्त का योगदान दिया।
विशेष रूप से निखिल चंडोक, राकेश सुखीजा, बंशी बब्बर, सचिन गुम्बर, रोहित गुम्बर, विशाल गुम्बर, सुमित बांगा, विशाल भुड्डी, सचिन तनेजा, गौरव तनेजा, गौरव बत्रा, विवेक कालरा जैसे रक्तदाताओं की सूची यह दर्शाती है कि कैसे अलग-अलग पृष्ठभूमियों के लोग एकजुट होकर मानव सेवा में संलग्न हो सकते हैं।
रक्तदान शिविर के पीछे उद्देश्य और भाव?रुद्रपुर सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष अमित बांगा ने कहा कि, “ब्लड बैंक में लगातार रक्त की कमी एक चिंता का विषय है। हमारा उद्देश्य सिर्फ एक शिविर आयोजित करना नहीं था, बल्कि लोगों को इस कार्य के लिए प्रेरित करना भी था ताकि भविष्य में कभी भी किसी जरूरतमंद को रक्त की कमी के कारण अपनी जान न गंवानी पड़े।”
उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि “हम समाज हित में ऐसे कार्यक्रम आगे भी जारी रखेंगे। यह हमारी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी है।”एक नई दिशा की ओर समाज
इस शिविर ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब युवाओं की सोच सकारात्मक होती है, तो समाज खुद-ब-खुद बदलने लगता है। यह आयोजन न सिर्फ रक्तदाताओं का सम्मान था, बल्कि उस मूल भावना का उत्सव भी था जिसे हम ‘संवेदनशील समाज’ कहते हैं।
रुद्रपुर सांस्कृतिक मंच ने यह सिद्ध कर दिया कि समाज को जागरूक और जिम्मेदार बनाने के लिए केवल बड़े मंच या राजनीति की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि एक समर्पित सोच और संगठित प्रयास ही वह नींव है, जिस पर सशक्त समाज की इमारत खड़ी की जा सकती है।
अंत में…रक्तदान केवल रक्त देना नहीं है, यह विश्वास देना है, यह जीवन देना है, यह रिश्तों से परे इंसानियत की वो डोर है जो हमें जोड़ती है। रुद्रपुर सांस्कृतिक मंच के इस प्रयास ने निश्चित ही एक नजीर पेश की है और यह उम्मीद जगाई है कि जब समाज में ऐसे अभियान चलेंगे, तो हम एक बेहतर, संवेदनशील और सहयोगी दुनिया की ओर बढ़ेंगे।
“रक्तवीरों को नमन, रुद्रपुर सांस्कृतिक मंच को सलाम!”
