उत्तराखंड में लगातार बदलते मौसम के कारण डेंगू और चिकनगुनिया का खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। डेंगू और चिकनगुनिया के खतरे को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है।

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राज्य में बढ़ते हुए डेंगू और चिकनगुनिया के मामलों को देखते हुए इसके उपचार और रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन भी जारी कर दी है.

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मच्छरों के काटने के बाद इसके डंक से शरीर में पहुंचने वाले खतरनाक वायरस का असर आपको अंदर ही अंदर बीमार बना सकता है. इससे आपको डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.

डेंगू के इन लक्षणों को न करें अनदेखा

  • अचानक से तेज बुखार आना
  • तेज सिरदर्द होना
  • आंखों के पीछे दर्द की समस्या
  • जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना
  • मतली और उल्टी आना
  • ग्रंथियों में सूजन होना
  • बुखार शुरू होने के तीन से चार दिन रैश दिखाई देना

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स / प्रिंट मीडिया : शैल ग्लोबल टाइम्स/ संपादक ;अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड


चिकनगुनिया इंफेक्शन के लक्षण

चिकनगुनिया इंफेक्शन के आम लक्षणों में बुखार और जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है. इसके अलावा इस स्थिति में मरीजों को सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन या चकत्ते का अनुभव भी हो सकता है.

कैसे पहचानें डेंगू है या चिकनगुनिया?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक डेंगू की अपेक्षा चिकनगुनिया में सूजन और दर्द बहुत ज्यादा होता है. इसके अलावा चिकनगुनिया में हड्डियों में तेज दर्द होता है और डेंगू होने पर कई मामलों में ब्लीडिंग, सांस लेने में परेशानी हो सकती है.


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तुरंत अपनाएं बचाव के ये उपाय

– इससे बचाव के लिए घर से बाहर इंसेक्ट रेपलेंट्स लगाकर निकलें
– लंबी बाजू के कपड़े पहनें ताकि मच्छर ना काटे
– ज्यादा बाहर न निकलें
– घर के खिड़की दरवाजों को बंद करके रखें
– घर के आसपास जमा कचरे और पानी की सफाई कराएं

सोमवार को सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार ने सभी जिलों को डेंगू वायरस के संक्रमण से बचाव व रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

बता दें कि, स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलाधिकारियों और सीएमओ को डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए जिला अस्पताल और राजकीय मेडिकल कॉलेज में अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश दिए। शहरी निकायों के माध्यम से वार्डों में फॉगिंग करायी जाय। गाइडलाइन में सभी जिलों को डेंगू और चिकनगुनिया बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए ब्लॉक वायरस माइक्रो प्लान तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

कब पनपता है डेंगू का मच्छर?

उत्तराखंड में डेंगू वायरस के पनपने का समय जुलाई से नवंबर तक होता है। कूलरों, फूलदानों, गमलों, खुली पानी की टंकियों, पुराने टायरों, एकत्रित कबाड़ में पानी जमा होने से डेंगू का लार्वा पनपता है, जिसके लिए स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करना जरूरी है।

कार्रवाई में आई स्वास्थ्य विभाग की टीम

स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन में निर्देश दिए हैं कि सभी नगर निगम और निकाय अपने-अपने क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान चलाएं। लार्वा को खत्म करने के लिए नगर निगम, नगर पालिका, आशा कार्यकर्ताओं और संबंधित विभागों की टीम बनाकर कार्रवाई करें। अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में आइसोलेशन वार्ड बनाएं और नोडल अधिकारी नामित करें। डेंगू रोगियों की जांच के साथ-साथ प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

उत्तराखंड में आने वाले महीनों में डेंगू और चिकनगुनिया की आशंका के चलते स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को अलर्ट जारी किया है। साथ ही, स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने 20 बिन्दुओं की गाइडलाइंस भी जारी की है।

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स / प्रिंट मीडिया : शैल ग्लोबल टाइम्स/ संपादक ;अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड

उन्होंने डेंगू और चिकनगुनिया रोग पर रोकथाम और नियंत्रण के लिए अधिकारियों को ब्लॉकवार माइक्रो प्लान बनाकर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि घरों में पर्याप्त साफ सफाई रखें। कूलर, फूलदान, गमलों, कबाड़ में पानी इक्कठा न होने दें।

डा राजेश ने सोमवार को बताया कि राज्य में डेंगू और चिकनगुनिया के रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनकी रोकथाम और उपचार के लिए सभी जिलों को गाइड लाइन जारी की गई है। जिलाधिकारियों और सीएमओ को 20 बीस महत्वपूर्ण बिंदुओं की गाइडलाइंस जारी की है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों के सुझाव पर डेंगू और चिकनगुनिया मरीजों के उपचार और रोकथाम के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि विगत वर्षों से डेंगू और चिकनगुनिया रोग राज्य में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में दिखाई दे रहा है।

डेंगू और चिकनगुनिया रोग का वेक्टर एडिज मच्छर है। उन्होंने बताया कि जुलाई से नवम्बर माह तक का समय डेंगू वायरस के संक्रमण के लिये अनुकूल होता है। उन्होंने बताया कि डेंगू-चिकनगुनिया दोनो रोग एक मच्छर जनित रोग हैं, जो कि कूलर, फूलदान, गमले, खुली पानी की टंकी, पुराने टायर, एकत्रित कबाडॉ में जमा पानी में पैदा होते हैं। डेंगू रोग के रोकथाम के लिए लोगों का आगे आना बहुत जरूरी है।

स्वास्थ्य सचिव ने अधिकारियों को कहा कि इन दोनो रोग पर रोकथाम और नियंत्रण के लिए ब्लॉक वार माइक्रो प्लान बनाकर कार्यवाहिया करना शुरू करने और इन माइक्रोप्लान को राज्य एन०वी०बी०डी०सी०पी० यूनिट को भेजा जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि नगर निगमों द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया जाए ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि इसकी समुचित रोकथाम और नियंत्रण हेतु दूसरे सभी विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। सभी विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम और नियंत्रण के लिए उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समयान्तर्गत की जाएं।


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