अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) कोर्ट ने अंकिता हत्याकांड के मामले में आपराधिक षड्यंत्र और सामान्य आशय (कामन इंटेशन) की धाराएं जोड़ने के लिए दिया गया प्रार्थनापत्र खारिज

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अदालत ने कहा कि प्रार्थनापत्र में इन धाराओं को जोड़ने के उद्देश्य स्पष्ट नहीं किए गए हैं। अब इस मामले में अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी।

अंकिता हत्याकांड के मुकदमे की कोटद्वार स्थित एडीजे रीना नेगी की अदालत में सुनवाई चल रही है। तीनों हत्यारोपी अदालत में बुलाए गए थे। विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने बताया कि अभियोजन पक्ष की ओर से इस मुकदमे में आपराधिक षड्यंत्र और सामान्य आशय (आईपीसी की धारा 120 बी और धारा 34) का अतिरिक्त आरोप तय करने का अनुरोध करते हुए प्रार्थनापत्र दिया गया था। इसे अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि कि मामले में अब तक 16 गवाहों को प्रतिपरीक्षित करा लिया गया है। प्रार्थनापत्र में इन धाराओं को जोड़ने के लिए कोई स्पष्ट कारण भी नहीं दिया गया है। जिससे प्रार्थनापत्र खारिज होने योग्य है।

अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि एक सितंबर लगा दी है। अभियोजन पक्ष का प्रार्थनापत्र खारिज होने के बाद अब अगली तिथि से अन्य गवाहों की गवाही शुरू करा दी जाएगी। यह भी माना जा रहा है कि अभियोजन पक्ष अथवा अंकिता के परिजन आपराधिक षड्यंत्र और कामन इंटेंशन की धाराएं जुड़वाने के लिए हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। इस दौरान तीनों हत्यारोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता अदालत में मौजूद रहे।

तीनों आरोपियों पर इन अपराध के तहत चल रहा सत्र परीक्षण

अंकिता हत्याकांड में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य छुपाना), 354 (ए) (छेड़खानी व लज्जा भंग) और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत लगे आरोपों का ट्रायल चल रहा है। दूसरे आरोपी सौरभ भास्कर और तीसरे अंकित गुप्ता पर हत्या, साक्ष्य छुपाना और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत आरोप तय हैं।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता अमित सजवाण ने केस से नाम लिया वापस

अंकिता हत्याकांड में आरोपियों की ओर से केस लड़ रहे अधिवक्ता अमित सजवाण ने सोमवार को इस केस से अपना नाम वापस ले किया। उन्होंने इसके व्यक्तिगत कारण बताए। वह पूर्व में शासकीय अधिवक्ता राजस्व भी रहे हैं। अंकिता हत्याकांड में बचाव पक्ष की पैरवी करने के दौरान उन्हें शासन ने सरकारी वकील के पद से हटा दिया था। सोमवार को उन्होंने खुद ही इस केस से अपने को अलग करने की घोषणा करते हुए वकालतनामा वापस ले लिया। उधर, जितेंद्र सिंह रावत द्वितीय ने बताया कि उन्होंने इस मामले में बचाव पक्ष की पैरवी के लिए वकालतनामा दाखिल किया है। उनके साथ नागेंद्र जोशी और कुंवर सिंह आर्य भी स्थानीय स्तर पर बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे हैं। मुख्य रूप से बचाव पक्ष की ओर मामले की पैरवी रुड़की के वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज पुंडीर कर रहे हैं।


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