उप नेता प्रतिपक्ष में भी 10% आरक्षण लागू करने पर जोर दिया, शहीद स्मारक खटीमा मैं 1 सितंबर 1994 को उत्तराखंड राज्य की मांग कर रहे आंदोलनकारी पर तत्कालीन सरकार के द्वारा अंधाधुंध गोलियां चलाकर सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।जिसमें निर्दोष लोग भी मारे गए। सरकार के द्वारा सभी, जो लोग गोली का शिकार हुए थे ।सरकार के द्वारा शहीद का दर्जा दिया गया। प्रत्येक वर्ष शहित स्मारक खटीमा में 1 सितंबर को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। जिसमें राज्य आंदोलनकारी के साथ-साथ सत्ता पक्ष के नेता , विपक्षी पार्टियों के नेता, स्थानीय जनप्रतिनिधि बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं ।उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद की तरफ से सभी दिवंगत शहिद राज्य आंदोलनकारी को श्रद्धा सुमन, अर्पित करते हैं
उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन में शहीद हुये आंदोलनकारियों का सपना पृथक राज्य बनने से तो पूरा हुआ लेकिन जिस पृथक राज्य की कल्पना की थी वैसा राज्य क्या हम बना पाये ……?
1 सितम्बर 1994 (उन्नीस सौ चौरानवे) उत्तराखंड राज्य आन्दोलन का काला दिवस माना जाता है । शासन, प्रशासन ने बिना पूर्व सूचना के खटीमा मे चल रहे पृथक राज्य आन्दोलनकारियो पर ताबडतोड गोलियों की बौछार कर दी ।
अमर शहीद स्वर्गीय भगवान् सिंह सिरौला
अमर शहीद स्वर्गीय प्रताप सिंह
अमर शहीद स्वर्गीय सलीम अहमद
अमर शहीद स्वर्गीय गोपी चन्द
अमर शहीद स्वर्गीय धर्मानन्द भट्ट
अमर शहीद स्वर्गीय परमजीत सिंह
अमर शहीद स्वर्गीय रामपाल
श्री बहादुर सिंह व श्री पूरन चन्द जैसे असंख्य आन्दोलनकारी गम्भीर रूप से जख्मी हो गए ।
खटीमा गोली काण्ड में हुए शहीदों को याद करते हुए आओ हम आज उत्तराखंडी होने के नाते शहीदो के सम्मान मे कुछ समय के लिए मौन धारण करें ।
शहीदो को कोटी कोटी नमन एवं अश्रु पूरित श्रद्धांजलि
निवेदक उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद