
मनमोहन सिंह अपने पीछे अपनी पत्नी गुरशरण कौर (Gursharan Kaur) और तीन बेटियों उपिंदर सिंह (Upinder Singh), दमन सिंह (Daman Singh) और अमृत सिंह ( Amrit Singh) को छोड़ गए हैं। मनमोहन सिंह अपने पीछे लगभग 15 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ गए हैं। मनमोहन सिंह के एक दामाद आईपीएस अफसर अशोक पटनायक भी हैं। आइए जानें महमोहन सिंह के परिवार के बारे में?


Manmohan Singh Wife Gursharan Kaur: कौन हैं मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर?
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर हुआ था। कम उम्र में ही मनमोहन सिंह ने अपनी मां को खो दिया था। मनमोहन सिंह का पालन-पोषण उनकी नानी ने किया था।
मनमोहन सिंह ने 1958 में इतिहास की प्रोफेसर और लेखिका गुरशरण कौर से विवाह किया था। गुरशरण कौर इतिहास की जानी-मानी प्रोफेसर थीं।
Manmohan Singh Daughter Upinder Singh: कौन हैं मनमोहन सिंह की बेटी उपिंदर सिंह?
मनमोहन सिंह की बड़ी बेटी उपिंदर सिंह अशोका विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर और संकाय की डीन हैं। उपिंदर सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग की पूर्व प्रमुख भी रह चुकी हैं। उपिंदर सिंह को सामाजिक विज्ञान की श्रेणी में पहला इन्फोसिस पुरस्कार मिला था। उपिंदर ने छह किताबें लिखी हैं, जिनमें ‘प्राचीन दिल्ली’ (1999) और ‘प्राचीन और प्रारंभिक मध्यकालीन भारत का इतिहास’ (2008) शामिल हैं।
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Manmohan Singh Daughter Daman Singh: कौन हैं मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह?
मनमोहन सिंह की दूसरी बेटी दमन सिंह सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली और इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद, गुजरात से स्नातक हैं। वह ‘द लास्ट फ्रंटियर: पीपल’ और ‘फॉरेस्ट इन मिजोरम’ और उपन्यास ‘नाइन बाय नाइन’ की लेखिका हैं।
उनके पति, अशोक पटनायक, 1983 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं। उन्हें 2016 में राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) का सीईओ नियुक्त किया गया था।
Manmohan Singh Daughter Amrit Singh: कौन हैं मनमोहन सिंह की बेटी अमृत सिंह?
मनमोहन सिंह की तीसरी बेटी अमृत सिंह, अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) में एक स्टाफ वकील हैं।
डॉ. सिंह ने 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी. उनका कार्यकाल 3,656 दिनों का रहा, जो उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्रियों में स्थान देता है. 2004 में, जब सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए प्रमुख के रूप में चुना गया, उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया और मनमोहन सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी. इस निर्णय ने राजनीति और प्रशासन के बीच एक अनूठा संतुलन स्थापित किया.
आर्थिक सुधार और नेतृत्व
डॉ. मनमोहन सिंह ने 1971 में विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1976 तक वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार बन गए. 1991 में, वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू की, जिसने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर विकास के पथ पर अग्रसर किया. उनके प्रधानमंत्री रहते हुए, भारत ने उच्च विकास दर और मजबूत अर्थव्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ाए.
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
Indo-US परमाणु समझौता (2008): इस समझौते ने अमेरिका के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया.
समाज कल्याण: शिक्षा का अधिकार, मनरेगा, और सूचना का अधिकार जैसे ऐतिहासिक कानून लागू किए.
वैश्विक पहचान: उन्होंने समावेशी विकास, कूटनीति, और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी.
भारत का शोक
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन एक स्व-निर्मित व्यक्ति की प्रेरक कहानी है. उनका जीवन यह प्रमाण है कि भारतीय लोकतंत्र में प्रतिभा और समर्पण के बल पर ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है. देश उनके निधन पर शोक में डूबा हुआ है. प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, और अन्य प्रमुख नेताओं ने उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.
