राजकुमार ठुकराल की उपेक्षा—भाजपा में वापसी पर सवाल, नया राजनीतिक भविष्य तय करेंगे?प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

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संपादकीय;राजकुमार ठुकराल की उपेक्षा—भाजपा में वापसी पर सवाल, नया राजनीतिक भविष्य तय करेंगे?

उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर हलचल मची हुई है। पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, जो कभी भारतीय जनता पार्टी में एक मजबूत हिंदूवादी चेहरा माने जाते थे, अब उसी पार्टी में अपनी जगह के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रुद्रपुर के गांधी पार्क में आयोजित “3 साल बेमिसाल” कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति रही, लेकिन राजकुमार ठुकराल को न बुलाया जाना राजनीतिक संकेतों से भरपूर है।

भाजपा में वापसी पर संशय!

रुद्रपुर नगर निगम चुनाव में महापौर विकास शर्मा ने कथित तौर पर ठुकराल को आश्वासन दिया था कि चुनाव के बाद उनकी भाजपा में वापसी होगी। लेकिन चुनाव के बाद, कार्यक्रम में उनकी उपेक्षा ने यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी में उनकी एंट्री को लेकर अंदरखाने भारी विरोध है। सवाल उठता है कि क्या भाजपा में कुछ लोग नहीं चाहते कि राजकुमार ठुकराल पार्टी में दोबारा आएं?

क्या कांग्रेस में नया राजनीतिक भविष्य?

अब जब भाजपा में उनकी वापसी संदेह के घेरे में है, तो समर्थकों के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि ठुकराल को कांग्रेस का दामन थाम लेना चाहिए। समर्थकों का मानना है कि अगर वह कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो 2027 के विधानसभा चुनाव में न केवल रुद्रपुर बल्कि पूरे उधम सिंह नगर में ध्रुवीकरण कर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

विकास शर्मा और 2027 की राजनीति

महापौर विकास शर्मा ने इस कार्यक्रम में कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं को नजरअंदाज कर यह संकेत दिया है कि वह 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी मजबूत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से नजदीकी होने का फायदा उठाते हुए वह टिकट हासिल करने की कोशिश करेंगे। ऐसे में अगर राजकुमार ठुकराल भाजपा में वापस आते, तो यह समीकरण उनके लिए असहज हो सकता था।

भाजपा के लिए बड़ा झटका हो सकता है ठुकराल का विद्रोह

राजकुमार ठुकराल को भाजपा से बाहर रखने की रणनीति भाजपा के लिए घातक भी साबित हो सकती है। अगर वह किसी अन्य दल में जाते हैं या निर्दलीय लड़ते हैं, तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। उनकी लोकप्रियता, संगठनात्मक क्षमता और हिंदू हृदय सम्राट की छवि को भाजपा ने अगर नजरअंदाज किया, तो यह 2027 में पार्टी के लिए महंगा सौदा साबित हो सकता है

अब आगे क्या?

फिलहाल, राजकुमार ठुकराल राजनीतिक अनिश्चितता के दौर में हैं। भाजपा ने उन्हें चारों खाने चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन राजनीति में कोई भी निर्णय अंतिम नहीं होता। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ठुकराल भाजपा के दरवाजे पर और इंतजार करेंगे, कांग्रेस में नई पारी शुरू करेंगे या कोई तीसरा रास्ता अपनाएंगे?

भाजपा के अंदरूनी समीकरणों से निकाले गए इस राजनीतिक योद्धा का अगला कदम ही तय करेगा कि 2027 में उत्तराखंड की राजनीति किस दिशा में जाएगी।

“राजनीति की बिसात पर ठुकराल—बली का बकरा या वापसी का बिगुल?”

भाजपा के भीतर उठते समीकरणों ने राजकुमार ठुकराल को राजनीतिक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया या सच में उनकी वापसी का कोई रास्ता बचा है? बिना बुलावे के अपमान, वादों की ठगी और रणनीतिक बेरुखी—क्या ठुकराल को “बाली का बकरा” बना दिया गया या वह नया मोर्चा खोलकर 2027 में खेल पलटने की तैयारी करेंगे?

अब सवाल यह नहीं कि भाजपा उन्हें अपनाएगी या नहीं, बल्कि यह है कि ठुकराल किस दिशा में अपने समर्थकों को लेकर बढ़ेंगे। “राजनीति में न दोस्त स्थायी, न दुश्मन”, लेकिन अपमान का जवाब देना हर योद्धा जानता है!


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