पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों की तलाश की जा रही है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, वे सभी पहलगाम से 30 किलोमीटर के दायरे में ही छिपे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के अनुसार आतंकी क्षेत्र से बाहर निकलने का हर कोशिश कर रहे हैं।

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पाकिस्तान भी इन्हें यहां से निकालने की फिराक में है। यह भी संभावना है कि गुफाओं में छिपे इन आतंकियों के पास अब कुछ ही दिनों का खाना बचा हुआ है। इसके बाद ये भूख से तड़पेंगे और बाहर निकलेंगे।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

पाक हैंडलरों ने आतंकियों को बाहर निकालने के लिए स्थानीय मददगारों से भी संपर्क किया है। वहीं आतंकियों को पकड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान में शामिल सुरक्षा बल आश्वस्त हैं कि अगले कुछ दिनों में आतंकियों की सटीक लोकेशन ट्रैक कर उन्हें पकड़ लिया जाएगा या वे मुठभेड़ में मार गिराए जाएंगे। सूत्रों की मानें तो एजेंसियां साक्ष्य जुटाने में जुटी हैं। सभी ऑपरेशन पूरी तरह गोपनीय रखे जा रहे। खुफिया इनपुट में इजरायल की एजेंसियां भी मदद कर रही हैं।

आईएसआई के इशारे पर हमला

आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सैटेलाइट फोन का ब्यौरा जुटाने के लिए विदेशी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है। सबूतों के आधार पर सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा ने पाकिस्तानी खुफिंया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर ही किया है।

सूत्रों का दावा है कि सीमा पार बैठे लश्कर कमांडर और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई किसी भी हमले में शामिल हाशिम मूसा को इस इलाके से सुरक्षित निकालने का प्रयास कर रही है। एक अधिकारी ने कहा कि अगर मूसा गिरफ्त में आया तो पाक पूरी तरह बेनकाब हो जाएगा।

गुफाएं बनीं कवच

एजेंसियों को संदेह है कि अनंतनाग जिले के घने जंगल और प्राकृतिक गुफाएं आतंकवादियों के लिए कवच का काम कर रही हैं। बहुत जल्द सटीक लोकेशन पर ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा। आतंकियों ने कम से कम 15-20 दिन का राशन भी जमा किया होगा। पहलगाम और बैसरन में व इसके आस-पास के इलाकों में 20 अप्रैल से सक्रिय रहे सभी मोबाइल फोन के डेटा की जांच हो रही है।

जिंदा पकड़ना पहली प्राथमिकता

सुरक्षा एजेंसियों की कोशिश दहशतगर्दों को जिंदा पकड़ने की है, ताकि जिस तरह से मुंबई हमले में कसाब के पकड़े जाने पर पाकिस्तान बेनकाब हुआ था वैसे ही इस हमले का भी सच दुनिया के सामने आए। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पहलगाम हमले की जांच के साथ राजौरी-पुंछ, बोटापथरी और गगनगीर में हुए सुरक्षाबलों व आम नागरिकों पर हुए हमलों के षड्यंत्र, उनमें शामिल सभी स्थानीय मददगारों के नेटवर्क का खुलासा करना है। साथ ही यह भी पता लगाया जाना है कि राजौरी-पुंछ से कश्मीर के भीतर तक इन आतंकियों का नेटवर्क का मूल स्रोत कहां है।


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