
हाउसिंग प्रोजेक्ट की खाली जमीन की रजिस्ट्री पर लगने वाले वाले पांच प्रतिशत स्टॉप शुल्क को सरकार ने निरस्त कर दिया। पांच प्रतिशत शुल्क की वजह से हाउसिंग सोसायटी खाली पड़ी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करा पाती थी।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
इससे जमीनों के फर्जीवाडे होने लगे थे। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि स्टांप शुल्क के प्रति विलेख अधिकतम दस हजार रुपये कर दिया गया है। इसकी विधिवत अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। वहीं, दूसरी तरफ फर्म और सोसायटी के रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण को भी आईएफएमएस पोर्टल पर ऑनलाइन कर दिया गया है। इससे पूरी प्रकिया पेपरलैस हो जाएगी।
यह होगा फायदा
10 हजार रुपये में खाली भूमि की रजिस्ट्री होने से संबंधित प्रोजेक्ट की पूरी संपत्ति का मालिकाना अधिकार संबधित सोसायटी का हो जाएगा। उस पर कोई बाहरी पक्ष दावा नहीं कर सकता। बिल्डर भी उस पर कोई नया निर्माण नहीं कर सकेगा।
हाउसिंग प्रोजेक्ट में यह थी समस्या
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 10 बीघा में बनने वाले किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट में बिल्डर भूमि के करीब 70 प्रतिशत भाग का इस्तेमाल भवन निर्माण में करता है। बाकी 30 प्रतिशत में पार्क, सड़क, आदि अन्य सुविधाओं के लिए छोड़ दी जाती है। हाउसिंग सोसायटी भवन/फ्लेट की तो रजिस्ट्री करा लेती हैं। लेकिन बाकी खाली जमीन पर बिल्डर के नाम पर ही रहती है। पांच प्रतिशत स्टांप शुल्क की वजह से हाउसिंग सोसायटी भी बाकी जमीन की रजिस्ट्रियां कराने में रुचि नहीं लेती। इससे बिल्डर उस खाली जमीन पर भी नए निर्माण कर सकते हैं या बेच भी सकते हैं।

