
📰 संपादकीय लेख: “हाय राम! मुझे बुड्ढा मिल गया!” — रुद्रपुर की जवां मोहब्बत और बुढ़ापे का इश्क


✍️ विशेष संपादकीय | अवतार सिंह बिष्ट, वरिष्ठ संवाददाता — हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
“इश्क़ किया नहीं जाता… हो जाता है!”
लेकिन जब ये इश्क़ चौराहे पर पोस्टर की तरह लटकने लगे, और उम्र पचास पार हो जाए — तो मोहब्बत नहीं, मज़ाक लगने लगता है… और शायद यही वजह है कि रुद्रपुर के सोशल गलियारों में इन दिनों एक नई बुड्ढा-जवां प्रेम कथा सबके होंठों पर है।
🔥 जब लाला जी को हुआ इश्क़…
रुद्रपुर के विज्ञापन चौक पर करोड़ों की संपत्ति के मालिक, दो-दो क्रॉकरी शोरूम के संचालक, शहर के नामी लाला जी को अपनी ही दुकान की एक सेल्स गर्ल से ऐसा इश्क़ हो गया कि अब उन्होंने घर-बार छोड़ने की ठान ली है।
पत्नी की मिन्नतें, बच्चों की नाराज़गी, समाज की शर्मिंदगी — कुछ भी अब लाला जी के “दिल” और “डार्लिंग” के बीच नहीं आ सकता। मोहब्बत का भूत ऐसा सवार है कि वो कह उठे हैं —
“अब उम्र का क्या सोचना, दिल जवान है!”
🧓🏼💃 “हाय राम! मुझे बुड्ढा मिल गया!”
आज की नारी सशक्तिकरण वाली स्क्रिप्ट में अगर कोई 22-23 साल की युवती, अपने ही बॉस की उम्र के व्यक्ति के साथ लिव-इन में रहने लगे — और शान से उसकी पत्नी की जगह लेने की तैयारी कर रही हो — तो जनता सवाल ज़रूर पूछेगी।
कई तो कहने लगे हैं —
“बाजार में चूड़ियां बेचते-बेचते लड़की ने करोड़ों की प्रॉपर्टी का रास्ता पकड़ लिया…”
🏚️ घर-बार छोड़ गई ‘पत्नी’, सेल्स गर्ल ने थामा ‘घर की चाबी’
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो धन-कुबेर प्रेमी लाला जी ने अपनी मार्केट के पास की एक कोठी की चाबी इस सेल्स गर्ल को सौंप दी है। अब ये मोहतरमा वहाँ पत्नी की तरह रह रही हैं, और लाला जी ने समाज को खुलेआम संदेश दे दिया है —
“हम दोबारा ब्याह करेंगे!”
🤦♂️ बच्चे शर्मिंदा, समाज हैरान
जिस उम्र में उनके बच्चों की शादियां तय होनी थीं, उस उम्र में लाला जी अपनी नई शादी के कार्ड छपवाने का मन बना बैठे हैं। बच्चे कह रहे हैं —
“पापा ने तो हमें हमेशा संस्कार सिखाए थे, अब खुद सारी मर्यादाएं तोड़ बैठे!”
😅 समाज का आईना और ‘लाला’ का आइटम
आज जब बुज़ुर्गों को “कफ सिरप”, “बीपी की गोली” और “योगा” की सलाह दी जाती है, वहीं हमारे लाला जी “प्रेम रसायन” में डूबे हुए हैं। क्या इसे कहें –
“बुढ़ापे का नया यौवन”?
या “नैतिक मूल्यों का संन्यास”?
संपादकीय दृष्टिकोण:इश्क़ करना गुनाह नहीं है। लेकिन इश्क़ का प्रदर्शन, और समाज के ढांचे में मर्यादा का मोल ज़रूर होता है।
जब कोई प्रभावशाली, आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति अपनी उम्र से आधी युवती के साथ संबंध बनाए और अपने परिवार को छोड़ दे — तो समाज सिर्फ तालियाँ नहीं, सवाल भी पूछता है:
- क्या ये सचमुच प्रेम है, या लूट का नया संस्करण?
- क्या इसमें आत्मा का मिलन है, या प्रॉपर्टी ट्रांसफर का प्लान?
- और क्या अगली पीढ़ी इससे प्रेरणा पाएगी या विद्रोह?
बाजारू मोहब्बत का नंगा सच
आज के सोशल मीडिया दौर में यह घटना महज़ चटपटी गॉसिप नहीं रही — यह एक चेतावनी है कि कैसे नैतिक मूल्यों की दीवारें ध्वस्त हो रही हैं, और पैसे के बल पर रिश्तों को खरीदा-बेचा जा रहा है।
“लिव-इन” की आज़ादी किसी की बपौती नहीं, लेकिन परिवार की बुनियाद तोड़कर इसे अधिकार बताना समाज को गुमराह करता है।
रुद्रपुर की ये प्रेम-कथा किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। लेकिन यह भी सोचिए —क्या हम ‘इश्क़’ के नाम पर ‘इज्ज़त’ का सौदा कर रहे हैं?
क्या अगली पीढ़ी ऐसे उदाहरणों को देखकर रिश्तों में भरोसा रखेगी?
इश्क़ से ज़्यादा ज़रूरी है ज़िम्मेदारी… और जवानी से ज़्यादा ज़रूरी है मर्यादा।
🖋️ लेखक: अवतार सिंह बिष्ट
📰 प्रकाशन: हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स | शैल ग्लोबल टाइम्स

