कपाट खुलने के अवसर पर धाम में 4,500 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहेंगे। तीर्थ यात्रियों का पहला जत्था पंच प्यारों की अगुआई में घांघरिया पहुंच गया है। हेमकुंड साहिब में अभी भी चार से पांच फीट बर्फ जमी हुई है। ऐसे में श्रद्धालुओं को लगभग तीन किमी सफर बर्फ के बीच से करना होगा।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
13 किमी पैदल यात्रा
हेमकुंड साहिब यात्रा के बेस कैंप गोविंदघाट स्थित गुरुद्वारे में शनिवार सुबह अखंड पाठ, शबद-कीर्तन और अरदास हुई। इसके बाद करीब साढ़े आठ बजे श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती व गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने पंज प्यारों की अगुआई में तीर्थ यात्रियों के पहले जत्थे को घांघरिया रवाना किया।
यह जत्था निशान साहिब के साथ 13 किमी पैदल यात्रा कर शाम को घांघरिया पहुंचा। इस दौरान वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह, जो बोले सो निहाल आदि जयकारे गूंजते रहे। घांघरिया से तीर्थ यात्रियों का दल आज सुबह पांच बजे रवाना होगा और करीब नौ बजे हेमकुंड साहिब पहुंचेगा। कपाटोद्घाटन के लिए 50 से अधिक लोग गुरुद्वारे को सजाने में लगे हैं।
इस अवसर पर मेजर जनरल नार्थ कमान जया चंद्रा, 418 इंजीनियरिंग कोर के ओसी रविंद्र औला, राजदीप मेहता, डा. मोहन सिंह, ज्योतिर्मठ की पूर्व पालिका अध्यक्ष रोहिणी रावत, मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष किशोर पंवार आदि मौजूद रहे।
आज के कार्यक्रम
- सुबह 9:30 बजे कपाट खोलने के साथ ही गुरुग्रंथ साहिब को सतखंड से निकालकर दरबार में सुशोभित किया जाएगा
- सुबह 10 बजे सुखमणि साहिब का पाठ
- सुबह 11:30 बजे 12:30 तक शबद कीर्तन
- दोपहर 12:35 पर पहली अरदास
- दोपहर 1:00 बजे हुकुमनामा लिया जाएगा
शटल सेवा शुरू
गोविंदघाट में अलकनंदा नदी पर बने नए बेली ब्रिज से आवाजाही शुरू हो गई है। बेली ब्रिज से सामान लदे छोटे-बड़े वाहन भी पुलना तक चार किमी क्षेत्र में आवाजाही कर रहे हैं। हालांकि, यात्री वाहनों को पुल के पास 200 मीटर क्षेत्र में एप्रोच रोड के सुरक्षित नहीं होने के कारण आवाजाही नहीं कराई जा रही। एप्रोच रोड से पुलना तक चार किमी क्षेत्र में शटल सेवा से आवाजाही हो रही है। इसके लिए 50 रुपये किराया निर्धारित किया गया है।
भ्यूंडार घाटी में लौटी रौनक
हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने के उत्सव में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की चहलकदमी से भ्यूंडार घाटी में चहल-पहल दिखने लगी है। घाटी में चमोली जिले व बाहरी राज्यों से सैकड़ों लोग रोजगार के लिए आते हैं। 19 किमी लंबी इस यात्रा को हिमालय की दुर्गम यात्रा माना जाता है। हेमकुंड साहिब में रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं है। ऐसे में दर्शन के बाद श्रद्धालु घांघरिया लौट आते हैं।
यह है मान्यता
- चमोली जिले में समुद्रतल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब की खोज वर्ष 1885 में लुधियाना (पंजाब) के पत्रकार तारा सिंह नरोत्तम ने की थी।
- बदरीनाथ यात्रा के दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों से विचित्र नाटक में लिखी गुरु गोविंद सिंह की कथा का जिक्र किया था।
- इसमें गुरु गोविंद सिंह ने पूर्व जन्म को लेकर लिखा कि उन्होंने हेमकुंड पर्वत पर दुष्टदमन के रूप में तपस्या की थी।
- पत्रकार तारा नरोत्तम सिंह ने पंजाब जाकर इस पर लेख लिखा।
- तब इस स्थान को लेकर पंजाब में चर्चा हुई।
- इसके बाद वर्ष 1934 में सेना के हवलदार बाबा मोदन सिंह के प्रयास से यात्रा शुरू हुई।

