दिल्ली में अवैध I रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। अब तक सैकड़ों अवैध बांग्लादेशियों को हिरासत में लेकर वापस भेजा जा चुका है।

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दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग इलाकों के कई थानों के अलावा स्पेशल यूनिट तैनात की है। यह टीमें दिल्ली रह रहे अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाने में जुटीं हैं। जिनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें गिरफ्तार करके वापस बांग्लादेश भेजा जा रहा है।
दक्षिण-पश्चिम जिले के वसंत कुंज पुलिस ने गुरुवार दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे 17 बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करके उन्हें हिरासत में लिया है। एफआरआरओ के जरिए इन सभी को डिपोर्ट करने की प्रक्रिया की जा रही है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

जानिए कैसे पहुंचे दिल्ली तक

दिल्ली पुलिस के मुताबिक 12 जून को टीम की जांच के बाद बांग्लादेश के 16 अवैध प्रवासियों का पता चला और पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया। वे जंगल के रास्ते और एक्सप्रेस ट्रेनों का इस्तेमाल करके भारत में दाखिल हुए थे।

निवार्सन के दौरान हुआ नवजात का जन्म

निर्वासन की प्रक्रिया के दौरान एक महिला को प्रसव पीड़ा के कारण सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसने एक लड़के को जन्म दिया। नवजात लड़के सहित सभी 17 बांग्लादेशी प्रवासियों को निर्वासन के लिए हिरासत केंद्र में रखा गया है।

इस साल अब तक 242 घुसपैठियों को पकड़ा

इस साल अभी तक कुल 242 बांगलादेशी नागरिकों को दिल्ली से पकड़ा गया है। इनमें से 86 को मुंडका पुलिस ने टिकरी बॉर्डर और आसपास के क्षेत्रों से गिरफ्तार किया। 5 को रन्होला पुलिस ने नाला रोड से पकड़ा। आउटर डिस्ट्रिक्ट के फॉरेनर सेल ने 151 बांगलादेशी नागरिकों को पीरागढ़ी कैंप, मंगोलपुरी, निहाल विहार और सुलतानपुरी से गिरफ्तार किया। इन सभी के पास भारत में रहने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं मिले थे।

केवल दिल्ली नहीं भारत के 17 राज्यों में हैं अवैध बांग्लादेशी

अवैध बांग्लादेशी केवल दिल्ली में ही नहीं जमे हुए हैं। ये लोग पूरे भारत में फैले हैं। एक रिपोर्टस के अनुसार, करीब 17 राज्यों में करीब 2 करोड़ बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। पहला आधिकारिक आंकड़ा संसद में 2007 में आया था। तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया था कि भारत में 12 मिलियन यानी 1.2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं। हालांकि बाद में उन्होंने इस आंकड़े के स्रोतों को गलत बताते हुए श्रीप्रकाश जायसवाल ने अपना बयान वापस ले लिया था।


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