भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जिनका इतिहास और उनसे जुड़े रहस्य आज भी लोगों को हैरान कर देते हैं. इन मंदिरों की भव्यता, वास्तुकला तो शानदार है ही, साथ ही ये चमत्कारिक भी हैं.

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देश के कुछ मंदिर तो ऐसे ही हैं, जो एक रात में बनकर तैयार हुए हैं. इन मंदिरों के निर्माण का इतिहास जानकर लोग हैरान रह जाते हैं क्‍योंकि किसी मंदिर को भूतों ने बनाया है तो किसी को राक्षसों ने. आइए ऐसे रहस्‍यमयी मंदिरों के बारे में जानते हैं.

एक रात में बने फिर भी अद्वितीय है वास्‍तुकला

सैंकड़ों साल पहले बने ये मंदिर कमाल के हैं. भले ही इन मंदिरों का निर्माण केवल 1 रात में हुआ हो लेकिन इनकी वास्तुकला अद्वितीय है. इन्‍हें देखकर यकीन करना मुश्किल है कि ये केवल 1 रात में बने हैं.

गोविंद देव जी मंदिर, वृंदावन – उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित गोविंद देव मंदिर एक रात में बना था. भगवान विष्‍णु को समर्पित इस मंदिर को देवताओं और राक्षसों ने मिलकर बनाया था. साथ ही शर्त रखी थी कि वे सूर्योदय होने से पहले तक ही मंदिर बनाएंगे. लेकिन इस विशालकाय मंदिर के पूरा होने में कुछ काम बाकी था और सूर्योदय हो गया. आज भी यह मंदिर कुछ अधूरा सा लगता है.

मध्यप्रदेश का ककनमठ मंदिर – मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित ककनमठ मंदिर का निर्माण कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासनकाल में हुआ था. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था और वो भी केवल एक रात में. इस मंदिर को देखकर लोग हैरान हो जाते हैं क्‍योंकि इसमें कई पत्‍थरों को एक के ऊपर एक रखकर बनाया गया है लेकिन उनका संतुलन इतना अच्‍छा है कि बड़े से बड़े आंधी-तूफान भी आज तक इस मंदिर के एक पत्‍थर को भी नहीं हिला पाए.

झारखंड का देवघर मंदिर – झारखंड में स्थित देवघर मंदिर को स्‍वयं भगवान विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए बनाया था. इस मंदिर का निर्माण भी एक रात में हुआ था और इसकी एक रोचक कहानी है. मान्यताओं के अनुसार एक बार रावण भगवान शिव को अपने साथ शिवलिंग के रूप में लंका ले जाने की जिद करने लगा. भगवान शिव मान तो गए लेकिन उन्होंने रावण के आगे एक शर्त रखी कि पूरे रास्‍ते में शिवलिंग कहीं भी जमीन पर स्‍पर्श नहीं होना चाहिए. रास्‍ते में कुछ ऐसा हुआ कि शिवलिंग जमीन को छू गया और फिर हिला ही नहीं. तब भगवान विश्वकर्मा ने रातों-रात यहां मंदिर बना दिया.


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