
रुद्रपुर, उत्तराखंड की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चेतना से जुड़े हरेला पर्व पर रुद्रपुर शहर ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया। नगर निगम रुद्रपुर ने टाटा मोटर्स लिमिटेड, पंतनगर के सहयोग से और इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल डेवलपमेंट, खीड़ा के सीएसआर साझेदारी के तहत रुद्रपुर के पहले मियावाकी वन की नींव रखी।


✍️ लेखक: अवतार सिंह बिष्ट संपादक हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स। (उत्तराखंड रुद्रपुर)
नगर निगम परिसर में आयोजित इस शुभारंभ कार्यक्रम में महापौर श्री विकास शर्मा एवं नगर आयुक्त श्री दुर्गा पाल जी ने पौधारोपण कर इस अभियान का विधिवत उद्घाटन किया। कार्यक्रम में नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी, टाटा मोटर्स की सीएसआर टीम, आईसीडी प्रतिनिधि, समाजसेवी, वार्ड मेंबर एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
🌱 क्या है मियावाकी पद्धति?
मियावाकी पद्धति जापान के प्रख्यात वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित एक अनूठी तकनीक है, जिसमें 20 से अधिक देशज प्रजातियों के पौधों को बेहद घने तरीके से पास-पास लगाया जाता है। यह जंगल 2 से 3 वर्षों में विकसित होकर घने प्राकृतिक वन जैसा स्वरूप ले लेता है।
रुद्रपुर की इस पहल के तहत एक एकड़ सरकारी भूमि पर 1500 से 1800 पौधों का रोपण किया जाएगा।
सतत विकास की दिशा में मजबूत क़दम
टाटा मोटर्स पंतनगर की ओर से इस परियोजना में भागीदारी करते हुए सीएसआर टीम के प्रदीप सांगवान, नीखिल टंडन, प्रीतम मोतीलाल, कमलजीत, राजीव वर्मा, आराधना, निशा, संदीप, गौरव पांडे उपस्थित रहे। वहीं इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल डेवलपमेंट (आईसीडी) के डॉ. श्रीवास्तव, बिंदुवासिनी और रविंद्र जी ने भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्यक्रम में भागीदारी निभाई।
स्थानीय सहभागिता भी रही विशेष?इस अवसर पर नगर के सम्मानित वार्ड मेंबर उपेन्द्र चौधरी, सुनील ठुकराल, पवन राणा, हरजीत राठी, बीनू, गौरव गिरी, योगेश वर्मा समेत कई गणमान्य जनप्रतिनिधियों व पर्यावरण प्रेमियों ने पौधारोपण कर हरेला महापर्व को सार्थक रूप दिया।
महापौर विकास शर्मा ने कहा, “यह सिर्फ एक पौधारोपण कार्यक्रम नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक हरित उत्तराधिकार है। मियावाकी वन रुद्रपुर की हरियाली को स्थायी बनाएगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए शुद्ध पर्यावरण सुनिश्चित करेगा।”
रुद्रपुर नगर निगम, टाटा मोटर्स और स्थानीय समुदाय के सामूहिक प्रयासों से हरेला पर्व पर मियावाकी वन की यह पहल न केवल पर्यावरणीय जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि एक सतत और हरित भविष्य की दिशा में ठोस कदम भी है। यह योजना भविष्य में पूरे उत्तराखंड के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।
रिपोर्ट: अवतार सिंह बिष्ट
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