
रुद्रपुर। शैल सांस्कृतिक समिति की ओर से रविवार 28 सितंबर 2025 को शैल परिषद प्रांगण में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि न्याय के देवता श्री गोलज्यू महाराज जी के मंदिर के प्रथम स्थापना दिवस पर 8 और 9 अक्टूबर को भव्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
कार्यक्रम की रूपरेखा तय करते हुए समिति ने बताया कि 8 अक्टूबर को सायं 7 बजे आरती होगी, जिसके पश्चात रात्रि 8 बजे से जागर का आयोजन किया जाएगा। वहीं 9 अक्टूबर को प्रातः आरती के बाद हवन-पूजन एवं सुंदरकांड पाठ होगा। दोपहर 2 बजे से विशाल भंडारे एवं प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाएगा।
बैठक में संस्था के महामंत्री एडवोकेट दिवाकर पांडे ने कार्यक्रम की तैयारियों पर चर्चा की और सभी से श्रद्धाभाव के साथ इस पुनीत कार्य में सहयोग करने का अनुरोध किया। संस्था के अध्यक्ष श्री गोपाल पटवाल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में सभी से कार्यक्रम के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए जुटने का आह्वान किया।
इस अवसर पर समिति के उपाध्यक्ष श्री मोहन उपाध्याय, कोषाध्यक्ष श्री डी.के. दनाई, श्री हरीश मिश्रा, श्री राजेंद्र बलोदी, श्री सतीश लोहानी, श्री दान सिंह मेहरा, श्री राजेंद्र बोरा, श्री जगदीश बिष्ट, श्री धीरज पांडे और श्री संजीव बुधौरी समेत अनेक पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर में न्याय के देवता श्री गोलज्यू महाराज का नाम सर्वोपरि है। जनमानस की आस्था इस बात की गवाही देती है कि जब अन्याय और पीड़ा से मनुष्य घिर जाता है, तो गोलज्यू महाराज की शरण में आकर न्याय और शांति प्राप्त करता है।
रुद्रपुर स्थित शैल परिषद प्रांगण में पिछले वर्ष स्थापित गोलज्यू महाराज मंदिर अब अपनी प्रथम वर्षगांठ मना रहा है। शैल सांस्कृतिक समिति द्वारा 8 और 9 अक्टूबर को आयोजित होने वाला यह स्थापना दिवस महज एक धार्मिक आयोजन भर नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, सामूहिक सहयोग और सांस्कृतिक संरक्षण का संदेश भी देता है।
जागर, हवन-पूजन, सुंदरकांड और भंडारे जैसे कार्यक्रम समाज को जोड़ने वाले सूत्र हैं। यह आयोजन केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं रहता, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों, परंपराओं और सामूहिक जीवन की भावना से जोड़ने का माध्यम भी बनता है।
आज के बदलते सामाजिक परिदृश्य में जहां भौतिकवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन समाज को दिशा देने वाले प्रकाशस्तंभ साबित होते हैं। गोलज्यू महाराज के प्रति आस्था न्याय और सत्य की अनंत परंपरा को आगे बढ़ाती है। यह आयोजन न केवल देवभूमि की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखता है, बल्कि हमें यह भी स्मरण कराता है कि न्याय और धर्म की राह ही सच्चे समाज का मार्ग है।


