
आसमान से लगातार हो रही मिसाइलों की बौछार ने लेबनान और सीरिया को भी हिलाकर रख दिया है. इन सबके बावजूद, इजराइल बेपरवाह नजर आ रहा है. अब उसकी नजर एक और मुस्लिम देश पर है, जिसका संकेत 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र में नेतन्याहू के भाषण से मिला है.

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
दरअसल, 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में अपने भाषण में, नेतन्याहू ने इराक को उन देशों में स्पष्ट रूप से शामिल किया जहां प्रतिरोध समूहों को इज़राइली परिणामों का सामना करना पड़ेगा. इसका मतलब है कि इजराइली सेना इराक पर भी हमला करने की तैयारी कर रही है.
UN के मंच से नेतन्याहू की धमकी
UNGA को संबोधित करते हुए, नेतन्याहू ने एक नक्शा दिखाया और उन देशों की सूची दी जहां प्रतिरोध समूह मौजूद हैं. इन देशों में लेबनान, सीरिया, यमन और इराक शामिल थे. अमेरिकी आक्रमण के बाद से इराक वर्षों से युद्ध से जूझ रहा है, और इस खतरे ने एक बार फिर पूरे इराक में हलचल मचा दी है. गौरतलब है कि पूरे भाषण के दौरान पूरा हॉल खाली रहा, और केवल इज़राइली सदस्य ही तालियाँ बजाते रहे.
इराक का पलटवार
नेतन्याहू की धमकी के बाद, इराकी विदेश मंत्री फुआद हुसैन ने इसे अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि किसी भी इराकी नागरिक पर हमला पूरे देश पर हमला माना जाएगा. गौरतलब है कि इराक में इस समय कई आतंकवादी समूह सक्रिय हैं, जिनमें से कई ईरान के प्रतिरोध अक्ष का हिस्सा होने का दावा करते हैं. इज़राइल इन समूहों को ख़तरा मानता है और दूसरे देशों को तबाह करने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहा है.
इस बीच, इराकी राजनेता अबू मितक अल-मस्र ने नेतन्याहू की धमकियों को बेतुका और कमज़ोरी से उपजा बताया. उन्होंने आगे कहा कि नेतन्याहू गाज़ा में अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं.
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