दुनिया की आर्थिक महाशक्तियों में चीन हमेशा एक कदम आगे रहता है, लेकिन 2025 में उसका यह कदम इतना बड़ा है कि वैश्विक बाजारों में सनसनी फैल गई है. कल्पना कीजिए, एक ऐसा देश जो पहले ही आर्थिक चमत्कार का प्रतीक है, अचानक अपने सोने के भंडार को 500 टन से सीधे 4000 टन तक पहुंचा दे!

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यह कोई साधारण निवेश नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाल लगती है जो भविष्य के तूफानों का संकेत दे रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन जैसे देश के इस कदम से डॉलर की एकाधिकार वाली दुनिया में दरार पड़ सकती है. सोने की चमक न सिर्फ धन का प्रतीक है, बल्कि सुरक्षा का कवच भी. क्या चीन जानता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा धमाका होने वाला है? यह सवाल हर निवेशक के मन में घूम रहा है.

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

तेजी से बढ़ते सोने के भंडार: आंकड़ों की कहानी
2025 की शुरुआत से ही चीन ने सोने की खरीदारी को रफ्तार दी है. जहां पहले उसके पास लगभग 500 टन सोना था, वहीं साल के अंत तक यह आंकड़ा 4000 टन को पार कर गया. यह बढ़ोतरी धीरे-धीरे नहीं, बल्कि लगातार महीनों की रणनीतिक खरीद से हुई. वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं, और चीन ने इसी मौके का फायदा उठाया. केंद्रीय बैंक ने हर महीने छोटे-छोटे लेकिन लगातार निवेश किए, जिससे कुल भंडार में जबरदस्त इजाफा हुआ. यह सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि एक सोची-समझी योजना का हिस्सा है. सोना खरीदकर चीन न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को भी पक्का कर रहा है. निवेशक अब सोच रहे हैं कि यह चाल अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

वैश्विक प्रभाव: बाजारों में हलचल क्यों?
चीन के इस सोने के भंडार विस्तार से दुनिया भर के बाजारों में हलचल मच गई है. सोने की कीमतें पहले ही 30 प्रतिशत ऊपर चढ़ चुकी हैं, और चीन की मांग ने इस उछाल को और तेज कर दिया. अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी अब सोने की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि रूस-यूक्रेन जैसे संघर्षों ने सिखाया है कि विदेशी मुद्रा पर भरोसा जोखिम भरा हो सकता है. चीन का यह कदम वैश्विक अर्थव्यवस्था को बहुध्रुवीय बनाने की दिशा में एक संकेत है. अमेरिकी बॉन्ड्स बेचकर सोना खरीदना चीन की चतुराई दिखाता है, जो भविष्य के संकटों से बचाव का प्रयास लगता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे मुद्राओं की लड़ाई तेज हो जाएगी? निवेशकों के लिए यह एक सबक है – सोना हमेशा सुरक्षित पनाहगाह साबित होता है.

सोने की असली जौहरी तो भारतीय महिलाएं हैं… आंकड़े देख लीजिए

धनतेरस के दिन ये किसी भी भारतीय हिंदू परिवार के घर का दृश्‍य हो सकता है. दरअसल, देश में गोल्‍ड के पीछे जितना बड़ा कारोबार है, उतना ही गहरा है, महिलाओं का सोने से रिश्‍ता. सोना, जो न केवल उनका गहना है, बल्कि सबसे भरोसेमंद निवेश भी है और हर दौर में ‘सुरक्षा कवच’ भी.

भारतीय घरों में सोने (गोल्‍ड) को लेकर एक अलग तरह का रोमांच रहता है. न केवल शादी-ब्‍याह, बल्कि अक्षय तृतीया और धनतेरस जैसे मौकों पर गोल्‍ड की खरीदारी को उत्‍सव की तरह सेलिब्रेट किया जाता रहा है. पीढ़ी दर पीढ़ी खानदानी संपत्ति में अच्‍छा-खासा हिस्‍सा गोल्‍ड का होता है. परिवार में इस वेल्‍थ क्रिएशन में बड़ा योगदान होता है- घर की महिलाओं का. थोड़ा-थोड़ा कर के भी महिलाएं सोने में निवेश करती रहती हैं.

वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, एक अहम तथ्य यह है कि भारतीय महिलाएं करीब 24,000 टन सोने की मालकिन हैं. ये दुनिया के कुल स्‍वर्ण भंडार का करीब 11 फीसदी हिस्सा है. यह मात्रा कितनी बड़ी है, इसे ऐसे समझिए कि अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस और रूस के टोटल गोल्‍ड रिजर्व यानी कुल स्‍वर्ण भंडार से भी ज्‍यादा है.किसके पास कितना सोना?अमेरिका8,133.46 टनजर्मनी3,350.25 टनइटली2,451.84 टनफ्रांस2,437.00 टनरूस2,329.63 टनभारतीय महिलाएं24,000 टनSource: World Gold Council


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