गुरु दृष्टि 2025: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी नौ ग्रहों में गुरु बृहस्पति और शनि ऐसे दो ग्रह हैं जो मानव जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। इन दोनों ग्रहों का प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक होता है।

Spread the love

हानि गुरु दृष्टि 2025: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी नौ ग्रहों में गुरु बृहस्पति और शनि ऐसे दो ग्रह हैं जो मानव जीवन को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। इन दोनों ग्रहों का प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक होता है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

18 अक्टूबर को गुरु ने राशि परिवर्तन कर अपनी उच्च राशि कर्क में प्रवेश किया है और अब वे मीन राशि में स्थित शनि पर अपनी दिव्य दृष्टि डालेंगे। शनि देव पहले ही 4 अक्टूबर से गुरु के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में प्रवेश कर चुके हैं और गुरु की ही राशि मीन में गोचर कर रहे हैं। गुरु की दृष्टि से शनि में शुभता और दिव्यता का संचार होगा। जब गुरु और शनि की ऊर्जाएं एक साथ मिलती हैं, तब यह योग ज्ञान और अनुशासन का अनोखा संगम बनाता है। इस अवधि में व्यक्ति का झुकाव धर्म, अध्यात्म और सदाचार की ओर बढ़ता है। जीवन में स्थिरता आती है और करियर तथा वित्तीय स्थिति में मजबूती देखने को मिलती है। उच्च शिक्षा, विदेश यात्रा, और पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि के संकेत मिलते हैं। संतान और जीवनसाथी के साथ संबंधों में मधुरता आती है तथा व्यापार और व्यवसाय में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। ये विश्लेषण चंद्र राशि के आधार पर किया गया है। आइए जानते हैं 12 में से किन राशि के जातकों की किस्मत चमक सकती है।

मकर राशि (Capricorn Zodiac)

मकर राशि के जातकों की कुंडली में लग्न के स्वामी शनि देव तीसरे भाव में स्थित हैं, जबकि देवगुरु बृहस्पति सातवें भाव में अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान हैं। इस समय बृहस्पति की शुभ दृष्टि शनि देव पर भी पड़ रही है। शनि का तीसरे भाव में होना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भाव परिश्रम, साहस और पुरुषार्थ का प्रतीक है, और शनि स्वयं कर्म के कारक ग्रह हैं। जब सातवें भाव में स्थित गुरु की दृष्टि तीसरे भाव पर पड़ती है, तो भाग्य और कर्म का अद्भुत संतुलन बनता है, जिससे जातक को मेहनत का पूरा फल प्राप्त होता है। गुरु के छठे भाव से निकलकर सातवें भाव में प्रवेश करते ही नौकरी या कार्यक्षेत्र में चल रहे संघर्ष समाप्त होने लगेंगे। सहकर्मियों और वरिष्ठों से संबंध बेहतर होंगे, कार्य का दबाव घटेगा और आपके परिश्रम को उचित पहचान व सम्मान मिलेगा। गुरु और शनि का संयुक्त प्रभाव तीसरे भाव को सक्रिय करेगा, जिससे आपकी रचनात्मकता, विचारशीलता और कार्यक्षमता में वृद्धि होगी।

शनि की दसवीं दृष्टि बारहवें भाव पर पड़ेगी, जहां गुरु की राशि धनु स्थित है। इस योग से विदेश यात्रा, विदेशी व्यापार और अंतरराष्ट्रीय अवसरों से लाभ प्राप्त होने की संभावना बनेगी। जो कार्य विदेश या दूर स्थानों से जुड़े हुए हैं, उनमें प्रगति होगी, साथ ही अनावश्यक खर्चों में कमी आएगी। पारिवारिक जीवन में भी सुख और सहयोग बढ़ेगा, और अधूरे वित्तीय कार्य पूरे होंगे। गुरु का यह गोचर आपकी दैनिक आय, प्रतिष्ठा और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने वाला सिद्ध होगा। अब तक किए गए कठिन परिश्रम का फल प्राप्त होगा, और तीसरे भाव पर गुरु की दृष्टि के कारण आपकी मेहनत का प्रतिफल स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। छोटे भाई-बहनों के साथ संबंधों में सौहार्द बढ़ेगा और व्यापार या नौकरी से संबंधित यात्राएं लाभकारी सिद्ध होंगी।

उपाय

देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न रखने के लिए माता-पिता, गुरुजनों और वृद्धों का सम्मान करें। गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और केसर-चंदन का तिलक लगाएं, स्नान के जल में हल्दी डालें, पीले वस्त्र पहनें और पीली वस्तुओं का दान करें।

कन्या राशि (Virgo Zodiac)

कन्या राशि के जातकों की कुंडली में सप्तम भाव में शनि देव का गोचर हो रहा है। वर्तमान में देवगुरु बृहस्पति मीन राशि में, जो कि दशम भाव है, स्थित हैं और 18 अक्टूबर को वे एकादश भाव में प्रवेश करेंगे। इस समय शनि देव गुरु की ही राशि और नक्षत्र में गोचर कर रहे हैं। जब बृहस्पति एकादश भाव में पहुंचेंगे, तो उनकी शुभ दृष्टि शनि देव पर पड़ेगी, जिससे दोनों ग्रहों का संयोजन अत्यंत फलदायी सिद्ध होगा। देवगुरु बृहस्पति चौथे और सप्तम भाव के स्वामी होकर 11वें भाव में विराजमान होंगे, जो आपकी आय, इच्छाओं की पूर्ति और सामाजिक संपर्कों का भाव माना जाता है। इस गोचर से चौथे और सातवें भाव से संबंधित कई इच्छाएं पूरी होंगी। 11वां भाव आपकी आय, मित्रता, बड़े भाई-बहनों तथा जीवन की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही यह भाव छठे भाव से छठा होने के कारण स्वास्थ्य में सुधार और छोटे-मोटे रोगों से राहत का संकेत भी देता है। बृहस्पति के अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करने से यह स्थिति और अधिक शुभ हो जाएगी। इस अवधि में आपकी कई अधूरी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं। यदि आप वाहन, मकान, फ्लैट या संपत्ति खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह समय आपके लिए अनुकूल रहेगा। अब तक धन की कमी या आर्थिक अड़चन के कारण जो कार्य अटके हुए थे, वे बृहस्पति और शनि की कृपा से पूर्ण होंगे। शनि छठे भाव के स्वामी हैं, जिससे वित्तीय अड़चनें दूर होंगी और लोन या आर्थिक सहयोग के अवसर प्राप्त होंगे। यह गोचर भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि और आरामदायक जीवन के साधन जुटाने में सहायक रहेगा।

गुरु की पंचम दृष्टि तीसरे भाव पर, सप्तम दृष्टि पांचवें भाव पर और नवम दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ेगी। तीसरे भाव पर दृष्टि से आपकी मेहनत और परिश्रम का फल मिलने लगेगा। अब तक जो प्रयास अपेक्षित परिणाम नहीं दे रहे थे, वे सफल होंगे। करियर में पहचान, प्रमोशन और वेतन वृद्धि के अवसर मिलेंगे। साथ ही, छोटी यात्राओं से भी लाभ होगा और भाई-बहनों से संबंधों में सामंजस्य बढ़ेगा। छात्रों, शिक्षकों और क्रिएटिव क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए यह गोचर विशेष रूप से अनुकूल रहेगा। संतान की इच्छा रखने वालों के लिए भी यह समय शुभ रहेगा।

दिवाली के बाद नवबंर माह में ग्रहों के राजा सूर्य राशि परिवर्तन करके वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में मीन राशि में विराजमान शनि के साथ संयोग करके नवपंचम राजयोग का निर्माण करेंगे। इस राजयोग का निर्माण होने से 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव देखने को मिलने वाला है। लेकिन इन तीन राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है। जानें इन लकी राशियोें के बारे मेंमेष राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलवृषभ राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलमिथुन राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलकर्क राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलसिंह राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलकन्या राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलतुला राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलवृश्चिक राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलधनु राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलमकर राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलकुंभ राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलमीन राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल


Spread the love