नेपाल में जेन-जेड आंदोलन के चलते अपनी कुर्सी गंवा चुके पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सुशीला कार्की सरकार पर गंभीर आरोप लगाएं हैं। उन्होंने रविवार को मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार उन्हें बिना ठोस वजह के गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है।

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यह पहली बार था जब इस्तीफा देने के बाद ओली ने सार्वजनिक रूप से काठमांडू में पत्रकारों से बात की।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

ओली ने कहा कि जेन-जेड युवाओं के नेतृत्व में हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन इन प्रदर्शनों ने समाज में डर और हिंसा फैलाई। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी, सीपीएन-यूएमएल, अब भंग हो चुकी प्रतिनिधि सभा को दोबारा बहाल करने की मांग करेगी।

चुनावों को लेकर गंभीर नहीं सरकार

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा कार्यवाहक प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सरकार “गैर-संवैधानिक तरीके” से बनी है और आने वाले आम चुनावों को लेकर गंभीर नहीं है। अगले साल मार्च में देश में आम चुनाव होने हैं।

सितंबर की शुरुआत में हुए विरोध प्रदर्शनों में युवाओं ने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और सोशल मीडिया पर बैन को लेकर नाराज़गी जताई। ये प्रदर्शन कुछ जगहों पर हिंसक हो गए, जिसमें सुरक्षा बलों को कार्रवाई करनी पड़ी।

ओली ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने उनके आधिकारिक निवास बालूवतार पर हमला करने की कोशिश की और उन्हें नेपाल सेना की मदद से बचाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मोबाइल फोन कुछ दिनों के लिए जब्त कर लिया गया था और उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं। इसके बावजूद, उनकी सुरक्षा टीम के कुछ सदस्यों को हटा दिया गया।.

पक्षपात करने का आरोप

उन्होंने जेन-जेड प्रदर्शनकारियों पर बाहरी ताकतों के प्रभाव का आरोप लगाया और मीडिया पर पक्षपात करने का भी दावा किया। उनके मुताबिक, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद और सुप्रीम कोर्ट जैसी अहम इमारतों को नुकसान पहुंचा, लेकिन मीडिया ने इन घटनाओं को ज्यादा कवर नहीं किया।

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ओली ने “नेपो-किड्स” कैंपेन की भी आलोचना की, जिसमें नेताओं और अधिकारियों के बच्चों को भ्रष्टाचार से जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि ये अभियान समाज में डर फैलाने वाला था। हालांकि कई बड़े नेताओं ने इस्तीफा दे दिया, ओली ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने से मना कर दिया।


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