धनतेरस के दिन वृंदावन (Vrindavan) के ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर में उस कमरे का ताला खोल दिया गया, जो बीते 54 वर्षों से ‘रहस्य’ के पर्दे में बंद था. इस कमरे को लेकर कई दावे किए जा रहे थे.

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कोई कहता था कि अंदर बेशकीमती रत्न हैं, तो किसी का कहना था कि वहां पुरानी मूर्तियां रखी हुई हैं. आखिरकार, आधी सदी के बाद, जब उस कमरे का ताला खुला, तो जो दृश्य सामने आया, उसने सबको चौंका दिया.

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

कमरे से क्या-क्या मिला?

आजतक से जुड़े मदन गोपाल शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कमरे को खोलने का फैसला उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित हाई पावर कमेटी ने लिया. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि अंदर का नजारा किसी पुराने खंडहर की तरह था. धूल, अंधेरा, दीवारों पर जमी सीलन की गंध और कमरे के कोने में भरा पानी. लेकिन यहां कोई खजाना नहीं था, जैसा लोग अब तक सोचते आए हैं. यहां सोने-चांदी के सिक्के और गहने नहीं, बल्कि कुछ चांदी के पात्र और बर्तन मिले.

जैसे ही टीम सफाई करने के लिए कमरे के अंदर दााखिल हुई, अचानक एक हलचल हुई. वहां दो छोटे सांप रेंग रहे थे. स्थिति को संभालने के लिए तुरंत वन विभाग को बुलाया गया, जिन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद सांपों को सुरक्षित बाहर निकाला. यह प्रक्रिया करीब तीन घंटे तक चलती रही.

मंदिर प्रशासन ने जताई आपत्ति

मंदिर प्रशासन और गोस्वामी समाज के कुछ सदस्यों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई. उनका कहना है कि मंदिर की परंपराओं में इस तरह सरकारी हस्तक्षेप उचित नहीं है. मंदिर के सेवायत घनश्याम गोस्वामी ने कहा कि इसमें केवल कुछ धातु के बर्तन ही मिले हैं. उनका कहना था कि हाई पावर कमेटी से जुड़े लोगों को ही अंदर प्रवेश की अनुमति दी गई, जबकि पारंपरिक रूप से मंदिर के चार मनोनीत गोस्वामियों को अंदर जाने का अधिकार होता है.

सर्किल ऑफिसर (C0) सदर संदीप कुमार ने बताया कि हाई पावर कमेटी के निर्देश पर खजाना वाला कमरा खोला गया और जांच के दौरान केवल कुछ चांदी के बर्तन व पात्र मिले हैं. उन्होंने कहा कि हाई पावर कमेटी के निर्देश के बाद कमरे को फिर से खोला जाएगा. फिलहाल, इस कमरे को सील कर दिया गया है.


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