संपादकीय:पहली बेटी होने पर पीटा, दूसरी को गर्भ में मार डाला — मां की भी हत्या! डॉक्टर समेत पांच पर मुकदमा ‘जन्म से पहले और बाद में — बेटी के अस्तित्व पर दोहरी मार

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रुद्रपुर से आई यह खबर न केवल सनसनीखेज है, बल्कि हमारे समाज के लिए शर्मनाक आईना भी है। एक शिक्षित परिवार, डॉक्टर बहू, महंगी शादियाँ, दहेज में करोड़ों का लेन-देन — और फिर भी “बेटी होना गुनाह” समझा जाना! यह घटना बताती है कि तकनीक, तरक्की और तथाकथित ‘संस्कृति’ के बीच हम कहीं बेहद खतरनाक ढलान पर फिसल चुके हैं।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

बलराम अग्रवाल की बेटी ज्योति की हत्या — दरअसल — एक नहीं, दो बेटियों की हत्या है। पहली बेटी को जन्म देने की “सजा” उसने ससुराल में पीट-पीट कर झेली और दूसरी को कोख में ही मार दिया गया। यह अपराध सिर्फ एक परिवार का नहीं, यह पूरे समाज की सामूहिक विफलता का प्रतीक है।

जब मायके पक्ष प्रतापपुर पहुंचे तो देखा कि अंतिम संस्कार की तैयारी पहले से कर ली गई थी। बलराम अग्रवाल ने पति दीपांशु मित्तल, ससुर सुनील मित्तल, सास इन्दु मित्तल, ननद डॉ. दिव्याशी गोयल, ननदोई डॉ. रजत गोयल, जेठ हिमांशु मित्तल सहित अन्य परिजनों पर दहेज हत्या, षड्यंत्र और स्त्रीधन हड़पने का आरोप लगाया है। इधर, ट्रांजिट कैंप थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है


पहली बेटी होने पर पीटा, दूसरी को गर्भ में मार डाला — मां की भी हत्या; डॉक्टर समेत पांच पर मुकदमा

रुद्रपुर। जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे समाज को झकझोर दिया है। ससुराल वालों ने अवैध रूप से लिंग परीक्षण कर गर्भ में पल रही बेटी का गर्भपात कराने के बाद, मां की भी हत्या कर दी। मृतका के पिता बलराम अग्रवाल ने जिला अस्पताल की पूर्व डॉक्टर समेत पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया है।

शहर के आवास विकास निवासी बलराम अग्रवाल ने पुलिस को बताया कि उन्होंने बेटी ज्योति की शादी 22 अप्रैल 2023 को नानकमत्ता निवासी दीपांशु मित्तल से की थी। शादी में 51 लाख रुपये नकद, इनोवा कार, सोने-चांदी के गहने और महंगा घरेलू सामान दिया गया था। बावजूद इसके, ससुराल पक्ष ज्योति को कम दहेज लाने का ताना देते हुए प्रताड़ित करने लगा।

26 दिसंबर 2023 को ज्योति ने एक बेटी को जन्म दिया, जिससे ससुराल पक्ष नाराज़ हो गया। आरोप है कि दीपांशु, सास इंदु, ससुर सुनील मित्तल, ननद दिव्यांशी और जेठ हिमांशु ने उसकी पिटाई की और एक करोड़ रुपये व फॉर्च्यूनर कार की मांग करने लगे।

बाद में ज्योति दोबारा गर्भवती हुई तो ससुराल वालों ने लिंग परीक्षण कराया। गर्भ में बेटी होने की जानकारी मिलने पर ननद डॉ. दिव्यांशी गोयल (पूर्व संविदा डॉक्टर, जिला अस्पताल) ने अवैध रूप से गर्भपात करा दिया। ज्योति की तबीयत बिगड़ने पर उसे नशामुक्ति केंद्र नोएडा ले जाने का बहाना बनाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई गई। एमआरआई में ब्रेन ब्लीडिंग पाई गई, जिसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी कराते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई।

पिता ने हत्या का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने पूरे प्रकरण की गंभीरता देखते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।

जहां डॉक्टर ही अपराध का हिस्सा बन जाए, वहां “सेवा” नहीं, “व्यवसाय” ही बचता है। पूर्व जिला अस्पताल की संविदा डॉक्टर दिव्यांशी गोयल पर लगे आरोप सिर्फ चिकित्सा आचार संहिता के नहीं, मानवता के अपराध हैं। अगर जांच में आरोप सही साबित होते हैं, तो यह नजीर बने कि डॉक्टर की डिग्री हत्या का लाइसेंस नहीं है।

मामला और भी भयावह तब हो जाता है जब हम सोचते हैं — इस देश में “बेटी बचाओ” के नारे लगते हैं, सरकारी योजनाओं के करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन उसी देश में गर्भस्थ बेटियों को जहर देकर मार दिया जाता है, और मां को भी खत्म कर दिया जाता है ताकि सच सामने न आए।

एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने जांच के आदेश दिए हैं — यह स्वागतयोग्य कदम है, पर यह पर्याप्त नहीं। उत्तराखंड में भ्रूण हत्या और दहेज हत्या के मामलों पर विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है। हर प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटर की निगरानी, हर मेडिकल रजिस्टर का ऑडिट, और ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कठोरतम दंड जरूरी है।

आज यह सवाल सिर्फ ज्योति की हत्या का नहीं है, यह सवाल है —
क्या उत्तराखंड की बेटियाँ सिर्फ जनगणना के आँकड़े हैं?
क्या “बेटी बचाओ” का अर्थ केवल सरकारी विज्ञापन और पोस्टर रह गया है?
क्या हमारी संवेदनाएँ दहेज के सोने-चांदी के बोझ तले दम तोड़ चुकी हैं?

हम इस संपादकीय के माध्यम से शासन, प्रशासन, और समाज से यह सीधा प्रश्न करते हैं —
कब तक जन्म से पहले बेटियों की हत्या और जन्म के बाद उनकी चिताएँ जलती रहेंगी?

ज्योति की मौत महज़ एक समाचार नहीं, बल्कि एक पुकार है —
“अब बस करो!”
यह समय है जब पुलिस से लेकर पंचायत तक हर संस्था को यह तय करना होगा कि
बेटी की कोख में हत्या करने वाला, समाज का हत्यारा है।

न्याय तभी होगा जब दोषी केवल गिरफ्तार नहीं, बल्कि उदाहरण बनें।
डॉक्टर अगर अपराध में शामिल है, तो उसकी डिग्री रद्द हो और जीवनपर्यंत चिकित्सा से वंचित किया जाए।
और हर उस पिता को यह भरोसा दिया जाए कि उसकी बेटी किसी ससुराल नहीं, किसी जेल में नहीं, बल्कि एक सुरक्षित समाज में जाएगी।

ड्रग लेने का झूठा आरोप
बलराम अग्रवाल के मुताबिक, 4 जुलाई, 2025 को ससुराल वालों ने फोन करके बताया कि ज्योति “ड्रग एडिक्ट” है और उसे नोएडा के एक नशा मुक्ति केंद्र में ले जाया जा रहा है। पिता ने कहा कि उनकी बेटी पढ़ी-लिखी, अच्छे व्यवहार वाली और संस्कारी थी – ऐसे आरोप नामुमकिन थे। जब बेटी को नोएडा के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, तो डॉक्टरों ने तय किया कि ज्योति को ड्रग्स की लत नहीं थी, बल्कि गलत दवा की वजह से ब्रेन हैमरेज हुआ था। इसके बाद 11 जुलाई को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।



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