उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में जल्द ही 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलेगा।प्रवर समिति के द्वारा आपकी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपने के उपरांत प्रवर समिति के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विशेष सत्र बुलाकर राज्य आंदोलनकार्यो को 10% आरक्षण देने के संदर्भ में अपना बयान जारी किया है।

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ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार कर चुकी यूसीसी की विशेषज्ञ समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट धामी सरकार को सौंप सकती है। गैरसैंण में राज्य स्थापना दिवस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने शीघ्र विधानसभा का सत्र बुलाए जाने की घोषणा की थी। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अपर मुख्य सचिव (गृह) राधा रतूड़ी को भी सत्र बुलाए जाने की संभावनाओं और तैयारी के संबंध में निर्देश दिए थे।

एसीएस ने विधानसभा के अधिकारियों के साथ सत्र के आयोजन को लेकर समीक्षा भी की। दिसंबर महीने में वैश्विक निवेशक सम्मेलन होने की वजह से सरकार नवंबर महीने में ही विधानसभा का सत्र बुला सकती है, क्योंकि अभी उत्तराखंड विधानसभा का सत्रावसान भी नहीं हुआ है।

उधर, सोशल मीडिया में वायरल हो रही खबरों के मुताबिक, विशेषज्ञ समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना देसाई ने भी अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना जताई है। इससे उत्तराखंड में जल्द यूसीसी आने की चर्चाओं को बल मिल गया है।

यूसीसी रिपोर्ट तैयार करने का काम पूरा
सूत्रों के मुताबिक, यूसीसी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने का काम पूरा कर लिया है। देहरादून स्थित दफ्तर से सामान समेटने की कवायद भी शुरू हो गई है। इस संबंध में यूसीसी कार्यालय के अपर सचिव भी गृह विभाग से कार्यालय का सामान वापस लेने की प्रक्रिया के लिए एक नोडल अफसर नियुक्त करने का अनुरोध कर चुके हैं। इससे जाहिर है कि यूसीसी रिपोर्ट बनाने और प्रकाशन का काम पूरा कर चुकी है।

अभी विधानसभा का सत्रावसान नहीं हुआ है। कभी भी विधानसभा का सत्र बुलाया जा सकता है। इस सत्र में हम प्रवर समिति की सिफारिशों की रिपोर्ट पेश करेंगे। सत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के संबंध में भी विधेयक आ सकता है।
-प्रेमचंद अग्रवाल, संसदीय कार्यमंत्री, उत्तराखंड सरकार

आंदोलनकारी आरक्षण को लेकर गठित विधानसभा की प्रवर समिति अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप चुकी है। अब इससे संबंधित विधेयक पारित कराने के लिए शीघ्र ही विधानसभा का सत्र बुलाया जा सकता है।

सितंबर में हुए विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार की ओर से राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण से संबंधित विधेयक पेश किया गया था। सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों के विधायकों ने इसे अधूरा बताया था। विधेयक में संशोधन के दृष्टिगत इसे विधानसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गया था। तब यह तय किया गया कि प्रवर समिति सभी पहलुओं पर गहनता से मंथन कर अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपेगी। इसके बाद विधेयक पारित कराने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया जाएगा।

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट,

विधिक कसौटी पर परखने के बाद रिपोर्ट हुई तैयार

प्रवर समिति ने आंदोलनकारियों को आरक्षण से संबंधित सभी विषयों पर गहनता से मंथन करने के साथ ही इससे संबंधित सुझावों को विधिक कसौटी पर परखने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की। प्रवर समिति के अध्यक्ष एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य स्थापना दिवस पर नौ नवंबर को यह रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को सौंपी। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि सरकार यह विधेयक पारित कराने के लिए सत्र कब बुलाती है।

क्षैतिज आरक्षण को लेकर सरकार गंभीर

संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि प्रवर समिति अपना कार्य पूरा कर चुकी है। अब पहला विषय है कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण देने को लेकर सरकार गंभीर है। वैसे भी अभी मानसून सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है। सत्र जल्द ही बुलाया जाएगा, जिसमें सरकार यह विधेयक पारित कराएगी। संभवतया इसी सत्र में समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक भी लाया जा सकता है।


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