उत्तराखंड का नजूल विधेयक फिर राष्ट्रपति भवन में फंसा
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड
चूंकि नजूल भूमि केंद्र सरकार के अधीन भी आती है तो राजभवन ने विधेयक को अपने स्तर से मंजूरी देने के बजाय इसे राष्ट्रपति भवन के जरिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया. तब से करीब आठ महीने का समय बीतने के बावजूद विधेयक वापस नहीं लौट पाया है.
इस कारण नजूल भूमि पर बसे हजारों परिवारों का इंतजार बढ़ गया है. इससे पूर्व सरकार ने गत विधानसभा चुनाव से पहले भी विधेयक को विधानसभा पारित कर कानून बनाने का प्रयास किया था, लेकिन तब केंद्र सरकार ने विधेयक को कुछ आपत्तियों के साथ वापस लौटा दिया था.
इन आपत्तियों को दूर करते हुए अब नए सिरे से विधेयक केंद्र सरकार के पास भेजा गया है. फिलहाल नजूल आवंटन नजूल नीति के आधार पर किया जा रहा है, लेकिन इस नीति की समय सीमा भी आगामी 11 दिसंबर को समाप्त हो रही है.
चार लाख हेक्टेयर नजूल भूमि है उत्तराखंड में
आवास विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में करीब 3,92,024 हेक्टेयर नजूल भूमि है. जो मुख्य रूप से यूएसनगर, हरिद्वार, रामनगर, नैनीताल, देहरादून जैसे शहरों में है. रुद्रपुर में करीब 24 हजार परिवार नजूल भूमि पर बसे हुए हैं, इसके साथ ही शहरों में प्रमुख बाजार तक नजूल की भूमि पर बसे हैं. इस कारण नजूल का नियमितिकरण इन शहरों में एक बड़ा मुद्दा रहा है.
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड
उत्तराखंड विधानसभा से पारित नजूल विधेयक अब भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है. इस बीच पूर्व में एक साल के लिए जारी नजूल नीति की समयसीमा भी अगले माह समाप्त हो रही है. इस कारण तात्कालिक तौर पर इस समय सीमा को आगे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है.
-एसएन पांडेय, सचिव आवास