


राजनीति से जुदा उनका यह अंदाज सम्मान और आदर भाव का था।


इतिहास गवाह है कि दोनों को जब भी अवसर मिला, उन्होंने बयान दागे और पलटवार करने से भी नहीं चूके। एक-दूसरे पर तंज कसने में दोनों नेताओं ने कभी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन वृद्धावस्था के जिस दौर से दोनों दिग्गज गुजर रहे हैं, उसने उन्हें एक-दूसरे की चिंता और परवाह करने की राह दिखाई।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन दो प्रमुख हस्तियों की मुलाकात की सुखद तस्वीर के अलग मायने हैं। अस्पताल में भर्ती हरीश की कुशलक्षेम जानने पहुंचे कोश्यारी यहां चुटकी लेने से नहीं चूके। हास-परिहास में बोले- मैंने तो विश्राम ले लिया है, अब आप भी आराम करो। रावत ने भी उसी सहज भाव में उत्तर दिया, मैंने भी आपको गुरु मान लिया है, आप विश्राम लेंगे तो हम भी आराम करेंगे।
बात को आगे बढ़ाते हुए हरीश बोले, उत्तराखंड की राजनीति के तीन स्कूलों में एक एनडी तिवारी, दूसरा आपका (कोश्यारी) और तीसरा मेरा (हरीश) है। आपने अपने कई शिष्यों को खूब आगे बढ़ाया है। मैं भी खुद को उसी में गिनता हूं। बात एनडी की चली तो कोश्यारी बोले, तिवारी जी देश के बड़े नेता थे। उनके पार्टी ही नहीं विपक्ष में भी खूब मित्र थे। लेकिन हेमवती नंदन बहुगुणा, केसी पंत और आप (हरीश) से उन्होंने कभी मित्रभाव नहीं रखा। ऐसा क्यों था, यह कभी समझ नहीं आया।
कोश्यारी से अपनी इस मुलाकात पर हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में हरीश बोले, मैं उन्हें हमेशा भगत दा (बड़ा भाई) कहता हूं। भगत दा उत्तराखंड की राजनीति के महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं और हमेशा बने रहेंगे। वह उनके विचारों के नहीं, समर्पण के कायल हैं।

