मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में कई बहादुर बच्चे होने के बावजूद राज्य बाल कल्याण परिषद को उनका नाम न भेजने की प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।सीएम ने लिया वीरता पुरस्कार से वंचित बच्चों की खबर का संज्ञान, जांच के आदेश

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शैल ग्लोबल टाइम्स,
अवतार सिंह बिष्ट रूद्रपुर, उत्तराखंड
(उत्तराखंड राज्य निर्माणकारी)

उन्होंने कहा है कि ऐसे बच्चों को 26 जनवरी पर राज्य सरकार सम्मानित करेगी।

वहीं, उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने जिलाधिकारियों को इस मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा, इस प्रकरण पर आयोग की ओर से संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी।

बैठक में जिला प्रोबेशन अधिकारियों को इन बच्चों से सीधे संपर्क करने के लिए कहा गया है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया, विज्ञान, कला आदि के क्षेत्र में बाल पुरस्कार के लिए विभाग की ओर से नौ आवेदन भेजे गए, लेकिन वीरता पुरस्कार का मामला संज्ञान में नहीं आया। बैठक में आयोग के सदस्य विनोद कपरुवाण, अनुसचिव डाॅ. एसके सिंह, उप मुख्य प्रोबेशन अधिकारी अंजना गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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बाल आयोग करेगा बहादुर बच्चियों को सम्मानित
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डाॅ. गीता खन्ना ने कहा, अमर उजाला में जिन बहादुर बच्चियों के नाम सामने आए हैं। आयोग की ओर से 24 जनवरी राष्ट्रीय बालिका दिवस पर उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

प्रदेश के 15 बच्चों को मिल चुका राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
प्रदेश में राज्य बाल कल्याण परिषद के गठन के बाद से 15 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिल चुका है। टिहरी गढ़वाल के हरीश राणा को वर्ष 2003, हरिद्वार की माजदा को 2004, अल्मोड़ा की पूजा कांडपाल को 2007, देहरादून के प्रियांशु जोशी को 2010, देहरादून की स्व. श्रुति लोधी को 2010, रुद्रप्रयाग के स्व. कपिल नेगी को 2011, चमोली की स्व. मोनिका उर्फ मनीषा को 2014, देहरादून के लाभांशु को 2014, टिहरी के अर्जुन को 2015, देहरादून के सुमित ममगाई को 2016, टिहरी गढ़वाल के पंकज सेमवाल को 2017, पौड़ी गढ़वाल की राखी को 2019, नैनीताल के सनी को 2020, पिथौरागढ़ के मोहित चंद उप्रेती को 2020 एवं रुद्रप्रयाग के नितिन रावत को 2022 में यह पुरस्कार मिल चुका है। वर्ष 2023 में राज्य बाल कल्याण परिषद के कई बार के पत्र के बाद भी जिलों से बहादुर बच्चों के नाम राज्य बाल कल्याण परिषद को नहीं भेजे गए।

जिन बच्चों ने साहसिक काम किए हैं, राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए उन्हें खुद ऑनलाइन आवेदन करना होता है। केंद्र सरकार उसकी जांच कर पुरस्कार के लिए उनका चयन करती है।
– हरि चंद्र सेमवाल, सचिव महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग

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