

यही नहीं उन्होंने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की तैयारियों को लेकर चिंता भी जाहिर की है. अपने सोशल मीडिया पोस्ट में हरीश रावत ने लिखा है की इस बार उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में इस बार की चुनौती और कठिन है इसे लेकर उन्होंने चुनाव प्रबंधन को लेकर चिंता व्यक्त की थी और वो अब भी अपने बयान पर कायम हैं. मुझे किसी को याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है. हालांकि उनकी कामना है कि पार्टी सभी पांचों सीटों पर अच्छे तरीके से ना सिर्फ चुनाव लड़े बल्कि जीत भी दर्ज करे.


कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक पर उन्होंने कहा कि यह बात सच है कि वोट बैंक में कमी आई और इसके लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा. हम प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व में प्रतिबद्ध हैं. लोकसभा चुनाव अत्यधिक कठिन और असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है. 2012 के उपचुनाव में उन्होंने चुनाव प्रबंधन का काम संभाला था. 2014 के लोकसभा चुनाव में हमें राज्य और केंद्र की सत्तारोधी रुझान का सामना करना पड़ा था बावजूद उसके चुनाव प्रबंधन के चलते टक्कर अच्छी हुई थी. 2019 में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष की अपने चुनाव में व्यस्तता और नेता प्रतिपक्ष की शारीरिक असमर्थता के कारण चुनाव प्रबंधन अच्छा नहीं हो पाया था.वो खुद अपने चुनाव में फंसे रह गए. प्रबंधन के अभाव में पार्टी का वोट बैंक बहुत घट गया इस बार हमे इस बात का खयाल रखना होगा और पार्टी को आगे बड़ने के लिए हमे एक जुट होकर काम करना होगा,
हरिद्वार से दावेदारी का जिक्र
हरीश रावत ने कहा की उनकी मेहनत पर किसी को शक नही होना चाहिए. वो हमेशा पार्टी के लिए शिद्दत से खड़े रहे हैं. वो हमेशा पार्टी का सिपाही बन कर काम करेंगे. रावत ने हरिद्वार से अपने लिए कांग्रेस से विचार करने की अपील की है.यही नहीं अपने बेटे वरेंद्र रावत को भी दावेदार बताया है. बता दें कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी हरिद्वार लोकसभा सीट से बड़े दावेदार है. अब ऐसी सूरत में हरिद्वार से कांग्रेस किसे अपना उम्मीदवार बनती है ये देखने वाली बात होगी.


