बीती छह मई की देर रात को पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर गरजती मिसाइलों ने दुनिया को कई संदेश दिए हैं. भारतीय कार्रवाई का पहला संदेश यह है कि अब न सिर्फ भारत, बल्कि उसकी विदेश नीति भी बदल चुकी है.

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अब अगर भारत का बेगुनाह खून बहेगा तो खून बहाने वाले नापाक हाथों को भारत कहीं से भी ढूंढ़ निकालेगा और उसकी कब्र खोदने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा. पाकिस्तानी हमले के सफल प्रतिकार ने स्वदेशी हथियार तकनीक की खुद-ब-खुद ब्रांडिंग हो गई.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

पहलगाम के खिलाफ हुई कार्रवाई के बाद भारतीय राजनीति और राजनय को देखने का दुनिया का नजरिया बदलना तय है. ऑपरेशन सिंदूर पर संघर्ष विराम के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में दो-तीन बड़ी बातें कहीं. पहला यह कि खून और पानी साथ नहीं बहेगा. यानी सिंधु जल समझौता स्थगित ही रहेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि टेरर यानी आतंक और ट्रेड यानी कारोबार एक साथ नहीं चलेगा. यानी आतंक फैलाने वाले देशों के साथ भारत न तो कारोबार करेगा और न ही उन्हें कोई विशेष दर्जा देगा. सवाल यह है कि भारत की इस बदली नीति की वजह क्या है? भारत की इस बदली नीति की वजह है, उसकी बढ़ती आर्थिक ताकत.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिहाज से भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. जल्द ही जापान की अर्थव्यवस्था को वह पीछे छोड़ देगा. भारत की स्वदेशी हथियार तकनीक, चाहे आकाश मिसाइल हो या रूस के सहयोग से विकसित ब्रह्मोस, उन्होंने अपनी अचूक मारक क्षमता दिखाई है.

एक तरफ देश आर्थिक ताकत बढ़ाता जा रहा है तो दूसरी तरफ सैनिक ताकत भी बढ़ रही है. शांति के लिए मजबूत आर्थिक और सैनिक ताकत जरूरी होती है. कहना न होगा कि आर्थिक और सामरिक ताकत की वजह से भारत अपनी नीति बदलता हुआ दिख रहा है.

भारत की अब तक की घोषित नीति रही है कि वह किसी दूसरे देश के मामले में न हस्तक्षेप करेगा और न ही किसी दूसरे देश का हस्तक्षेप मंजूर करेगा. ऑपरेशन सिंदूर इस नीति में बदलाव का वाहक बनकर आया है. ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने दिखाया है कि अब वह अपनी जनता की रक्षा के लिए किसी की इजाजत का इंतजार नहीं करेगा.


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