
आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सदस्य एनी जॉर्ज मैथ्यू, मनोज पांडा, सौम्या कांति घोष, सचिव ऋत्विक पांडे, संयुक्त सचिव केके मिश्रा व संयुक्त निदेशक पीअमरूथावर्षिनी भी सम्मिलित हुए।


आवागमन सुधार, दो-लेन सड़कों के निर्माण, झीलों के संरक्षण व सौंदर्यीकरण के लिए धनराशि की मांग
बैठक में पर्यटन क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने मसूरी, नैनीताल जैसे स्थलों पर जनसंख्या वृद्धि के दबाव, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, पर्यावरण-अनुकूल परिवहन साधन व पार्किंग जैसी सुविधाओं पर ध्यान देने, मास्टर योजना निर्माण, पर्यटन सर्किट और पारंपरिक स्थलों से इतर क्षेत्रों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। आवागमन सुधार, दो-लेन सड़कों के निर्माण, झीलों के संरक्षण व सौंदर्यीकरण के लिए धनराशि की मांग भी की गई। बैठक में उत्तराखंड के वित्त सचिव दिलीप जावलकर, पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे, कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत, अपर सचिव सोनिका व हिमांशु खुराना, जिलाधिकारी वंदना, मुख्य विकास अधिकारी अनामिका समेत विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। संचालन उद्योग महानिदेशक प्रतीक जैन और अपर निदेशक पर्यटन पूनम चंद ने किया।
खगोल पर्यटन तथा रोमांचक और धार्मिक पर्यटन पर भी बल
इसके साथ ही एस्ट्रो-टूरिज्म यानी आकाशीय चांद-सितारों की गतिविधियों के अवलोकन के खगोल पर्यटन तथा रोमांचक और धार्मिक पर्यटन के प्रतिनिधियों ने नक्षत्र सभा जैसे आयोजनों का विस्तार, पारंपरिक ट्रेकिंग मार्गों के पुनरुद्धार, इस हेतु रोशनी रहित डार्क नाइट जोन के निर्माण, वन संरक्षण और कौशल विकास अकादमी की स्थापना जैसे सुझाव रखे। पलायन रोकने हेतु क्रूज पर्यटन, बाईपास सड़क निर्माण और दिल्ली से कनेक्टिविटी सुधारने की बातें भी सामने आईं।
उद्योग क्षेत्र ने मांगा कर अवकाश तथा विशेष आर्थिक व पर्यावरणीय पैकेज
उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने कर अवकाश, संतुलित औद्योगिक विकास, ब्लॉक स्तर पर कौशल संस्थानों की स्थापना, आपदा बीमा कोष, विनियमन में ढील, लॉजिस्टिक पार्क व आपदा-रोधी ढांचे की भी सिफारिश की। औद्योगीकरण की लागत कम करने हेतु सब्सिडी योजनाओं की पुनर्बहाली, ₹5000 करोड़ का विशेष औद्योगिक कोष, राष्ट्रीय भवन संहिता में संशोधन, जीएसटी वापसी में पारदर्शिता और राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थानों की आवश्यकता भी जताई गई। साथ ही नए औद्योगिक क्षेत्र, विशेष आर्थिक क्षेत्र और आपदा नीति में सूक्ष्म व लघु इकाइयों को शामिल करने तथा हिल इंडेक्स, हरित बोनस और पहाड़ी राज्यों के लिए अलग मंत्रालय की मांगें भी सामने आईं। हिमालय संरक्षण, नदियों के जल स्तर में गिरावट और पर्यावरणीय असंतुलन को देखते हुए विशेष आर्थिक व पर्यावरणीय पैकेज तथा सीमांत क्षेत्रों के व्यापारियों को परिवहन सहायता उपलब्ध कराने की बात भी कही गई।
आयोग 31 अक्टूबर 2025 तक देगा रिपोर्ट
आयोग के अध्यक्ष ने सभी प्रतिभागियों को उनके महत्वपूर्ण सुझावों के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि इनमें से अनेक सुझाव राज्य व कई केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार में आते हैं, सभी पर विचार किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक प्रस्तुत करेगा।
