स्पेन की पावला मार्टिनेज जब धाराप्रभाव हिंदी और बिना रुके संस्कृत के श्लोक बोलतीं हैं, तो हर कोई अचंभित हो जाता है।

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  पावला एक साल के लिए ऋषिकेश में योग सीखने के लिए आईं थीं, लेकिन धर्म, संस्कृति और भाषा से इतनी प्रभावित हुईं कि अब वह यहीं की होकर रह गईं। वह कहती हैं अब उनके दिल में हिंदी और हिंदुस्तान है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

10 साल पहले पावला मार्टिनेज एमबीबीएस की पढ़ाई कर ऋषिकेश हिमालयन योग फाउंडेशन में योग सीखने आई थीं, लेकिन उन्हें वेद मंत्र सुनना अच्छा लगने लगा और फिर उन्होंने अपने गुरु शंकर तिलकानंद से संस्कृत के श्लोक सीखने शुरू किए। वह बताती हैं कि आश्रम में बाहर से भी लोग आते थे, लेकिन वह न तो उनसे बात कर पाती थीं और न ही उनकी बातों को समझ पाती थीं।

वह बताती हैं कि कई बार आश्रम का नगर पालिका, ऊर्जा निगम आदि अन्य विभागों में काम होता था, लेकिन भाषा के कारण मैं चाह कर भी काम नहीं कर पाती थीं। इसलिए हिंदी सीखने का मन बना लिया। हिंदी सिखाने के लिए कोई गुरु नहीं मिले, तो हिंदी फिल्म, एप से धीरे-धीरे स्वयं ही सीखने का अभ्यास किया। पावला की हिंदी सीखने की लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति ही थी कि उन्होंने महज तीन माह में हिंदी बोलनी और समझनी सीख ली।

पावला मार्टिनेज का नाम अब है स्वतंत्रता
पावला बताती हैं कि जब उन्होंने ऋषिकेश में गुरु शंकर तिलकानंद से दीक्षा ली, तो उन्होंने सबसे पहले उनका नाम परिवर्तित कर स्वतंत्रता चैतन्य रखा। गुरु ने बताया कि स्वतंत्रता का अर्थ सारे सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भक्ति में लीन हो जाना है। जब यह नाम दिया गया, तो संयोग से वह अगस्त का महीना था और भारत अपनी आजादी का जश्न मना रहा था। मां की आध्यात्मिक रुचि ने जोड़ा भारत से स्वतंत्रता चैतन्य बताती हैं कि उनकी मां की आध्यात्म में रुचि थी।

भारत की संस्कृति से काफी प्रभावित थीं। मुझे भी बताती थीं कि भक्ति से ही आत्मिक शांति मिलती है। जब वो आठ साल की थी, तभी से भारत की धर्म, संस्कृति के प्रति एक अलग अहसास महसूस करने लगीं। ऋषिकेश में योग सीखा और यहीं के रंग में रंग गई।


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