होलिका दहन की शाम को लकड़ियों से होलिका तैयार की जाती है और विधि-विधान से पूजा-पाठ कर के होलिका जलाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, होलिका दहन हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन को अंधकार पर रोशनी की विजय का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। तो आइए जानते हैं होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के बारे में-


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 14 मार्च को 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में होलिका दहन दिन बुधवार, 13 मार्च 2025 को मनाई जाएगी, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि 10 बजकर 45 मिनट से 01 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
होलिका दहन पूजा विधि होलिका दहन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल पर पर गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाएं। इसके बाद रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल और एक कलश भरकर रखें। होलिका दहन के साथ नरसिंह जी का भी ध्यान करते हुए उन्हें रोली, चंदन, पांच प्रकार के अनाज और फूल अर्पित करें। इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की सात परिक्रमा करें। अंत में गुलाल डालकर जल चढ़ाएं।

