उत्तराखंड सरकार के 3 साल: राज्य आंदोलनकारियों की उम्मीदें और पेंशन वृद्धि की मांग

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संपादकीय लेख;उत्तराखंड सरकार के 3 साल: राज्य आंदोलनकारियों की उम्मीदें और पेंशन वृद्धि की मांग

उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार को तीन वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों की सराहना करते हुए उम्मीद जताई है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप विकास की ओर अग्रसर होगा।

राज्य आंदोलनकारी की समस्त मांगों का उल्लेख किया जाए मुख्यमंत्री से उसके समाधान की उम्मीद में एक लेख लिखें

धामी सरकार से आंदोलनकारियों की उम्मीदें

उत्तराखंड के निर्माण में राज्य आंदोलनकारियों का त्याग और बलिदान अमूल्य है। उनके संघर्ष और बलिदान के कारण ही यह राज्य अस्तित्व में आया, लेकिन आज भी वे अपने हक और सम्मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राज्य के समस्त आंदोलनकारियों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पेंशन में वृद्धि और अन्य सुविधाओं की उम्मीदें हैं।

राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगें:

  1. पेंशन में वृद्धि – वर्तमान में दी जा रही पेंशन को ₹20,000 प्रति माह किया जाए ताकि आंदोलनकारियों को आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
  2. स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार – राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिवारों के लिए निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
  3. सम्मान और पहचान – नए शिक्षण संस्थानों, सड़कों और सरकारी भवनों का नामकरण राज्य आंदोलनकारियों के नाम पर किया जाए।
  4. परिवारजनों को रोजगार में प्राथमिकता – राज्य आंदोलनकारियों के बच्चों को सरकारी नौकरियों और योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए।

धामी सरकार के 3 साल: विकास और सुशासन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • सरकारी विभागों में नौकरी प्रक्रिया को तेज किया गया।
  • अतिक्रमण हटाने और कानून व्यवस्था को सख्त करने की दिशा में बड़े कदम उठाए गए।
  • चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार किया गया।
  • महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया।

राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को पूरा करने की अपील

अवतार सिंह बिष्ट ।

सभी राज्य आंदोलनकारी मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि आंदोलनकारियों की मांगों को गंभीरता से लिया जाए और उन्हें उनका वाजिब हक दिया जाए। यह सरकार के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है कि वह उन लोगों का सम्मान करे जिन्होंने उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष किया।

धन्यवाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी!

आपकी सरकार ने पिछले तीन वर्षों में जो विकास कार्य किए हैं, वे सराहनीय हैं। अब हम आशा करते हैं कि राज्य आंदोलनकारियों की मांगों को भी जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा ताकि उनका सम्मान और गरिमा बनी रहे। उत्तराखंड उन्हीं सपनों को साकार करे जिनके लिए यह राज्य बना था।

राज्य आंदोलनकारियों की लंबित मांगें: मुख्यमंत्री से समाधान की उम्मीद

उत्तराखंड राज्य के निर्माण में राज्य आंदोलनकारियों का योगदान अविस्मरणीय है। उनके संघर्ष और बलिदान के परिणामस्वरूप ही यह राज्य अस्तित्व में आया। हालांकि, राज्य स्थापना के 25 वर्षों बाद भी, कई आंदोलनकारियों की मांगें अधूरी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उन्हें इन मांगों के समाधान की अपेक्षा है।

मुख्य मांगें:

  1. चिह्नीकरण की प्रक्रिया का पूर्ण होना: कई आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण अभी तक नहीं हो पाया है। अनुमानित 2000 प्रार्थना-पत्र लंबित हैं, जिनमें से कई आंदोलनकारी इस प्रक्रिया के पूर्ण होने से पहले ही दिवंगत हो चुके हैं।
  • पेंशन में वृद्धि: वर्तमान में, शहीदों के परिजनों को ₹3000, सात दिन की जेल या घायल होने वालों को ₹6000, चिह्नित सक्रिय राज्य आंदोलनकारियों को ₹4500, रासुका के तहत गिरफ्तार एकमात्र आंदोलनकारी को ₹10000, और शारीरिक रूप से आशक्त दो आंदोलनकारियों को ₹20000 मासिक पेंशन मिलती है। आंदोलनकारियों की मांग है कि पेंशन राशि को सम्मानजनक स्तर पर बढ़ाया जाए।
  • स्वास्थ्य सुविधाएं: आंदोलनकारियों और उनके परिवारों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएं, जिससे वे स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से मुक्त रह सकें।
  • शैक्षणिक सुविधाएं: आंदोलनकारियों के बच्चों को शिक्षा में विशेष सुविधाएं और छात्रवृत्तियां प्रदान की जाएं, ताकि वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।
  • आवासीय सुविधाएं: आंदोलनकारियों के लिए आवासीय योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए, जिससे वे सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।
  • सम्मान और पहचान: आंदोलनकारियों को ‘राज्य निर्माण सेनानी’ का दर्जा दिया जाए, जिससे उनका समाज में उचित सम्मान हो।
  • आरक्षण का पूर्ण लाभ: हालांकि, राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में 10% क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया है, लेकिन यह लाभ सभी चिह्नित आंदोलनकारियों तक नहीं पहुंच पा रहा है।

मुख्यमंत्री से अपेक्षाएं:

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आंदोलनकारियों को उम्मीद है कि वे इन लंबित मांगों को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र समाधान करेंगे। यह न केवल आंदोलनकारियों के सम्मान और अधिकारों की पुनर्स्थापना होगी, बल्कि राज्य के प्रति उनके योगदान की सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।


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