इस दिन को लेकर मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करता है उसके सभी भय और कष्ट दूर हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में मंगलवार का संबंध मंगल ग्रह से है, जो साहस, पराक्रम, युद्ध और ऊर्जा का कारक है। मंगल ग्रह को क्रूर ग्रह भी माना जाता है, और इसकी अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, दुर्घटनाएं और मानसिक तनाव ला सकती है। इसी कारण से इसे शांत करने के लिए मंगलवार को विशेष उपाय किए जाते हैं जैसे कि व्रत रखना, हनुमान चालीसा पढ़ना, और हनुमान मंदिर में लाल चोला चढ़ाना। मंगलवार को विशेष रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करने, लाल रंग के वस्त्र पहनने, और मसूर की दाल, गुड़, या लाल चंदन का दान करने की परंपरा है। ऐसे में यहां पढ़ें 8 अप्रैल 2025 का पंचांग।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]
आज का पंचांग 8 अप्रैल 2025 (Aaj Ka Panchang 8 April 2025)
- संवत – पिङ्गला विक्रम संवत 2081
- माह – चैत्र
- तिथि – चैत्र माह शुक्ल पक्ष एकादशी
- पर्व – महा व्रत एकादशी
- दिवस – मंगलवार
- सूर्योदय – 06:09 ए.एम सूर्यास्त-6:39 पी.एम
- नक्षत्र – आश्लेषा 07:55 ए.एम तक फिर मघा
- चंद्र राशि – कर्क, स्वामी-चंद्रमा 07:55 ए.एम तक फिर सिंह, स्वामी राशि-सूर्य
- सूर्य राशि – मीन,स्वामी ग्रह-गुरु
- करण – वणिज 08:34 ए.एम तक फिर विष्टि
- योग – शूल 06:13 पी.एम तक तत्पश्चात गण्ड
आज के शुभ मुहूर्त
- अभिजीत – 11:58 ए.एम से 12:48 पी.एम तक
- विजय मुहूर्त – 02:23 पी.एम से 03:26 पी.एम तक
- गोधुली मुहूर्त – 06:22 पी.एम से 07:22 पी.एम तक
- ब्रह्म मुहूर्त – 4:03 ए.एम से 05:09 ए.एम तक
- अमृत काल – 06:03 ए.एम से 07:44 ए.एम तक
- निशीथ काल मुहूर्त – रात्रि 11:43 से 12:25 तक रात
- संध्या पूजन – 06:30 पी.एम से 07:05 पी.एम तक
दिशा शूल – उत्तर दिशा। इस दिशा में यात्रा से बचें। दिशा शूल के दिन उस दिशा की यात्रा करने से बचते हैं, यदि आवश्यक है तो एक दिन पहले प्रस्थान निकालकर फिर उसको लेकर यात्रा करें।
अशुभ मुहूर्त – राहुकाल-सायंकाल 03 बजे से 04:30 बजे तक
क्या करें – आज परम पवित्र व्रत एकादशी है। बहुत ही पुण्यदायी उपवास है। भगवान विष्णु की उपासना करें। साप्ताहिक मंगलवार व्रत रहें। एकादशी तिथि व्रत, उपासना व वैष्णव पूजा का पुण्य दिवस है। श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। भगवान कृष्ण को समर्पित शुक्ल पक्ष एकादशी का नियमित व्रत रहें। मन में हर पल भगवान विष्णु के किसी भी नाम का जप करें। नियम पूर्वक व्रत व दान-पुण्य करना बहुत फलित होता है। किसी भी मंदिर परिसर में नीम, महुआ, बेल, बरगद ,आम, पाकड़ व पीपल का पेड़ लगाएं। अपने घर के मंदिर में अखण्ड दीप जलाइए। श्री सूक्त का भी पाठ करें। ब्रह्म मुहूर्त में श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ बहुत फ़लदायी है। मन का सात्विक होना बहुत आवश्यक है। मंदिर में कीर्तन कराएं, भगवान विष्णु के विग्रह की 04 परिक्रमा करें। उनको मिठाई व तुलसी दल अर्पित करें। सात अन्न का दान करें। श्री कृष्ण उपासना व्यक्ति को निर्भय बनाती है। एकादशी को मन, वचन व कर्म से किसी व्यक्ति को कष्ट मत दें।
क्या न करें- एकादशी को संभव हो तो चावल ग्रहण मत करें। किसी भी प्राणी को कष्ट मत दें। निंदा मत करें।

