हालात ऐसे हो गए कि इस विशाल सरकारी जमीन पर पचास से ज्यादा इमारतें और धार्मिक स्थलों को तैयार कर लिया गया था. लेकिन सोमनाथ मंदिर की भव्यता को बढ़ाने के मकसद से शासन और प्रशासन ने इस जमीन पर बड़ा अभियान चलाया और पूरे अवैध कब्जे को जमींदोज कर दिया.
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर
देश का सबसे बड़ा अतिक्रण हटाओ अभियान!
गुजरात के गिर सोमनाथ में मंदिर के पीछे सरकारी ज़मीन पर से अतिक्रमण को हटाने के लिए देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाया गया. देर रात शुरू हुआ ये ऑपरेशन दिन में भी जारी रहा. इस अभियान में 58 बुलडोजर, सैंकड़ों ट्रैक्टर और डंपर लगाए गए. सुरक्षा के लिए पुलिस के 1400 जवानों के साथ 102 एकड़ जमीन को खाली करने की सबसे बड़ी कार्रवाई की गई.
एक तरफ देश के कोने कोने में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ शासन और प्रशासनों का सख्त एक्शन जारी है तो जमीन पर कब्जे को बरकरार रखने के लिए भीड़तंत्र का सहारा भी लिया जा रहा है. शुक्रवार देर रात सोमनाथ में भी ऐसा ही कुछ हुआ.
सोमनाम मंदिर के कब्जा ली थी 103 एकड़ जमीन
देश के प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंग में से एक गुजरात के सोमनाथ मंदिर से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर सरकारी जमीन पर बने अवैध निर्माणों को ढहाने के लिए पुलिस और प्रशासन का अमला पहुंचा तो भारी भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई. लेकिन पुलिस की भारी फौज और संयम ने भीड़ को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. पुलिस ने लोगों को समझाया और रात 3 बजे डिमोलेशन का काम शुरू किया गया. वहीं मलबा हटाने का काम शनिवार को भी जारी रहा.
जानकारी के मुताबिक इस अतिक्रमण हटाओ अभियान में 9 धार्मिक स्थलों को गिराया गया. साथ ही 45 रिहायशी इमारतों को भी जमींदोज किया गया. अतिक्रमण को हटाकर 102 एकड़ जमीन खाली करवाई गई, जिसकी अनुमानित कीमत 320 करोड़ रुपये बताई गई है.
नोटिस के बावजूद खाली नहीं की गई थी भूमि- डीएम
जिले के डीएम डीडी जडेजा ने बताया कि सोमनाथ में इस अवैध अतिक्रमण को खाली करवाने के लिए प्रशासन की तरफ से बहुत पहले नोटिस जारी कर दिया गया था. लेकिन उसके बाद भी जमीन को खाली नहीं किया गया.
सोमनाथ में भी शुरू होना है कॉरिडोर बनाने का काम
आपको बता दें कि उज्जैन कॉरिडोर की तरह सोमनाथ में भी कोरिडोर बनना है, जिसके लिए केन्द्र सरकार से मंजूरी मिल चुकी है. सोमनाथ मंदिर के विकास के लिए अनेक योजनाओं पर काम चल रहा है. ऐसे में इस डिमोलिशन के बाद कॉरिडोर के काम में तेजी आने की संभावना है.