
हरिद्वार और कुमाऊं मंडल में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां जमीनों का उपयोग बदलकर उन्हें कॉलोनियों में तब्दील कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार, इन जमीनों को अब राज्य सरकार के अधीन किया जाएगा।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
हरिद्वार में भूमि खरीद के मामले
हरिद्वार जिले में भू-कानून के उल्लंघन के कई चौंकाने वाले मामले उजागर हुए हैं। जिन उद्देश्यों के लिए भूमि आवंटित की गई थी, उन्हें बदलकर कई उद्योगपतियों ने इन पर कॉलोनियां बना दी हैं। उदाहरण के लिए, 2007 में देवपुरा क्षेत्र में हरियाणा के एक व्यवसायी को फैक्ट्री लगाने के लिए भूमि दी गई थी, लेकिन जांच में पता चला कि वहां कोई फैक्ट्री नहीं, बल्कि आवास बनाए गए हैं। इसी तरह, समसपुर क्षेत्र में भी 2022 में उद्योग लगाने के लिए दी गई भूमि पर कॉलोनी का निर्माण किया गया है। प्रारंभिक जांच में ऐसे 20-25 मामलों की पुष्टि हुई है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया है।
कुमाऊं मंडल में जांच जारी
कुमाऊं मंडल में विशेष अनुमति से खरीदी गई जमीनों की जांच की जा रही है। कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने हाल ही में अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें बताया गया कि 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदने के 100 मामले और विशेष अनुमति से खरीदी गई 130 अन्य भूमि की जांच की जा रही है। कई मामलों में इन जमीनों का उद्देश्य बदल चुका है, और राज्य सरकार जल्द ही इन्हें अपने अधिकार में लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि 2 से 3 महीने के भीतर सभी संदिग्ध भूमि की जांच पूरी की जाए।
धार्मिक भूमि खरीद में गड़बड़ी
कुछ मामलों में भूमि धार्मिक उद्देश्यों के लिए खरीदी गई थी, लेकिन इसका उपयोग होटल और रिसॉर्ट जैसी वाणिज्यिक गतिविधियों में किया जा रहा है। ऐसे मामलों की भी जांच की जा रही है, और यह तय किया जा रहा है कि इन जमीनों को सरकार के अधीन किया जाए। प्रशासन ने सभी जिलों के एसडीएम और तहसीलदारों को जांच के आदेश दिए हैं। कमिश्नर दीपक रावत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी ने निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बाहरी लोगों पर जमीन खरीदने पर रोक का प्रस्ताव
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में यह सिफारिश की गई कि राज्य के कुछ जिलों में बाहरी लोगों पर जमीन खरीदने पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। पिथौरागढ़ और चम्पावत में बाहरी लोगों को 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों में बाहरी व्यक्तियों को जमीन खरीदने से रोकने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव पर सरकार जल्द ही निर्णय ले सकती है।
अल्मोड़ा और रानीखेत में भूमि विवाद
अल्मोड़ा जिले में भी बाहरी व्यक्तियों द्वारा भूमि खरीदने के मामलों की जांच जारी है। अब तक 23 लोगों के नाम इस सूची में शामिल किए गए हैं, जिनमें से 11 नाम अल्मोड़ा जिले के हैं। इनमें से अधिकांश ने निर्धारित शर्तों का पालन नहीं किया है, और उन पर नोटिस जारी किए गए हैं। इन मामलों में मशहूर फिल्म स्टार मनोज वाजपेयी का भी नाम सामने आया है, जिन्होंने 2021 में योग और मेडिटेशन केंद्र के लिए भूमि खरीदी थी, लेकिन अब तक भूमि का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है।
भूमि जब्ती की कार्रवाई
उत्तराखंड प्रशासन ने गलत तरीके से खरीदी गई जमीनों की जब्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। हाल ही में मुंबई के एक उद्योगपति की 108 नाली जमीन अल्मोड़ा जिले के चितई क्षेत्र से जब्त की गई। उद्योगपति ने नियमों का पालन किए बिना यह जमीन खरीदी थी, और इसका उपयोग अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा था। प्रशासन ने इस भूमि का बैनामा रद्द करते हुए इसे सरकार के पक्ष में निहित कर दिया है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ बाहुबली राजा भैया की पत्नी द्वारा खरीदी गई भूमि भी जब्त की जा चुकी है।
भू-कानून की समीक्षा और कार्रवाई
उत्तराखंड में भू-कानून की समीक्षा और सख्ती से लागू होने के बाद प्रशासन ने भूमि खरीद पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है। बाहरी लोगों द्वारा गलत तरीके से खरीदी गई भूमि और तय शर्तों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इससे राज्य की भूमि नीति को मजबूत बनाने के प्रयासों को बल मिलेगा और भूमि की अवैध खरीद-फरोख्त को नियंत्रित किया जा सकेगा।
