
इसी प्रकार अनुमति लेकर 12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद के प्रविधानों के उल्लंघन की रिपोर्ट शासन ने मांगी है। यह रिपोर्ट राजस्व परिषद के माध्यम से शासन को उपलब्ध कराई जाएगी।


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट,
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में गत सात अक्टूबर को सभी जिलाधिकारियों, दोनों मंडलायुक्ताें के साथ ही राजस्व परिषद आयुक्त एवं सचिव को आदेश जारी किए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्तमान भू-कानून के प्रविधानों के उल्लंघन पर कड़ा रुख अपनाते हुए राजस्व सचिव को जांच कर ऐसे प्रकरणों में भूमि सरकार में निहित करने के आदेश दिए थे। भू-कानून में भी यह प्रविधान है कि भूमि का उपयोग गलत प्रकार से होने की स्थिति में उसे सरकार में निहित किया जा सकेगा।
प्रदेश में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) अधिनियम संख्या-तीन की धारा 154 (4)(1)(क) में वर्ष 2007 में किए गए संशोधन के अनुसार कोई भी व्यक्ति स्वयं या अपने परिवार के आवासीय प्रयोजन के लिए बिना अनुमति के अपने जीवन काल में अधिकतम 250 वर्गमीटर भूमि क्रय कर सकता है।
शासन को यह जानकारी मिली की एक ही परिवार के सदस्य इतनी ही भूमि पृथक-पृथक खरीद कर भू-कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर इस कानून का उल्लंघन किया गया है। यही नहीं, आवासीय उपयोग के लिए खरीदी गई भूमि का नियम विरुद्ध ढंग से अन्य प्रकार से उपयोग किया जा रहा है। अब जिलाधिकारी ऐसे प्रकरणों की रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप पर राजस्व परिषद को भेजेंगे।
भू-कानून में अनुमति लेकर की जाने वाली 12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद में भी गड़बड़ी की जानकारी सामने आई है। इस भूमि का अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग के बारे में विवरण राजस्व परिषद के माध्यम से शासन को उपलब्ध कराया जाएगा।
