यानि 22 दिसंबर तक कोई भी आरक्षण के संबंध में सुझाव या आपत्ति दर्ज करा सकता है।
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प्रिंट मीडिया,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर
इसके बाद निदेशालय के स्तर पर इनका निराकरण किया जाएगा। इसके तत्काल बाद संस्तुति के साथ अंतिम प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया में दो से तीन दिन लग सकते हैं। लिहाजा माना जा रहा है कि 25 दिसंबर के बाद की भी निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।
बता दें कि इससे पहले प्रदेश में नगम निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत में वार्डों के स्तर पर जिलाधिकारियों को आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर प्रस्ताव शासन को देने के निर्देश निदेशालय के स्तर से दिए जा चुके हैं। जिला स्तर पर जिलाधिकारी 14 दिसंबर तक निकायों में वार्डों का प्रस्ताव तैयार करेंगे।
इसके बाद 15 दिसंबर से 21 दिसंबर तक सात दिनों में आपत्ति एवं दावों के लिए अनंतिम अधिसूचना जारी करेंगे। 22 दिसंबर को दावों एवं आपत्तियों पर सुनवाई की जाएगी। इसी दिन सुनवाई के बाद वार्डों का आरक्षण निर्धारित कर सूचना निदेशालय और शासन को भेजी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार निकायों में पदों व वार्ड आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी होने के बाद 26 दिसंबर को निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने की संभावना है। चुनाव कार्यक्रम लगभग तीन सप्ताह का रह सकता है।
राज्य में 28 जनवरी से 14 फरवरी तक राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है। पहली बार उत्तराखंड को इन खेलों की मेजबानी मिली है तो जाहिर है कि सरकार इसमें व्यस्त रहेगी। ऐसे में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से पहले नगर निकाय चुनाव कराने पर जोर दिया जा रहा है। अब इसी हिसाब से कसरत भी तेज हो गई है।
नगर निकायों में पदों और वार्डों का आरक्षण तय होने के बाद इस पर आपत्तियां व दावे प्राप्त करने के लिए सप्ताहभर का समय दिया गया है। 22 दिसंबर को आपत्तियों व दावों का निस्तारण होना है। फिर पदों व वार्डों के आरक्षण की अंतिम अधिसूचना जारी करने के साथ ही 23 अथवा 24 दिसंबर को राज्य निर्वाचन आयोग को इसकी विधिवत सूचना भेजी जाएगी।
माना जा रहा है कि इसके बाद 26 दिसंबर को आयोग चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर सकता है। निकाय चुनाव का कार्यक्रम तीन सप्ताह का हो सकता है। इस हिसाब से 15 जनवरी को निकाय चुनाव के लिए मतदान और 20 जनवरी को मतगणना हो सकती है।
पंचायत चुनाव की भी होनी है तैयारी
निकाय चुनाव और राष्ट्रीय खेलों से निबटने के बाद राज्य में त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव की तैयारी भी होनी है। त्रिस्तरीय पंचायतों में ग्राम पंचायतों व क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल नवंबर आखिर और जिला पंचायतों का कार्य दो दिसंबर को खत्म हो चुका है। इनमें भी चुनाव की स्थिति न बन पाने के कारण इन्हें निवर्तमान पंचायत प्रमुखों को ही प्रशासक बनाया गया है। प्रशासक के रूप में छह माह का कार्यकाल मई में खत्म होना है। इसी अवधि के भीतर पंचायत चुनाव कराए जाने हैं।
किच्छा व नरेंद्रनगर में यह फंसा है पेच
राज्य में जिन दो नगर निकायों में चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है, उनमें नगर पालिका परिषद किच्छा व नरेंद्रनगर शामिल हैं। किच्छा से सिरोलीकला क्षेत्र को बाहर करने का प्रकरण अदालत में विचाराधीन है, जबकि नरेंद्रनगर में वार्ड परिसीमन नहीं हो पाया है। दोनों निकायों में इन विषयों का निराकरण होने के बाद ही वहां चुनाव कराए जाएंगे। इसके अलावा गैर निर्वाचित निकाय की श्रेणी में शामिल नगर पंचायत बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री में सरकार बाद में मनोनयन करेगी।