दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर हाल ही में आग लगने की घटना के बाद, वहां बड़ी मात्रा में अधजली नकदी मिलने का मामला सामने आया है। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्सिट शील नागू करेंगे, जबकि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्सिट जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन सदस्य होंगी। प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड) घटना की पृष्ठभूमि में, होली की रात जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगी थी, जिसे बुझाने के दौरान फायर ब्रिगेड कर्मियों को एक कमरे में 4-5 अधजली बोरियों में भारतीय मुद्रा के अवशेष मिले। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना से संबंधित वीडियो और तस्वीरें अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक की हैं, जिनमें अधजले नोटों का ढेर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जस्टिस वर्मा ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोर रूम में कभी नकदी नहीं रखी थी, और यह सुझाव कि नकदी उन्होंने रखी थी, पूरी तरह से निराधार है। उन्होंने यह भी बताया कि स्टोर रूम उनके रहने के क्षेत्र से पूरी तरह अलग है और वहां तक पहुंचने के लिए एक अलग मार्ग है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण इस घटना से असंबंधित है और यह निर्णय उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में कई प्रकार की अफवाहें और गलत जानकारियां फैलाई जा रही हैं, जिनसे बचने की आवश्यकता है। वर्तमान में, तीन सदस्यीय समिति इस मामले की गहन जांच कर रही है, और जस्टिस वर्मा को न्यायिक कार्यों से अलग रखा गया है। जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।

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रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस वर्मा ( Yashwant Verma) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि घर के स्टोर रूम में उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने कभी भी कोई नकदी नहीं रखी थी। वे इस बात का खंडन करते नजर आए कि कथित नकदी उनकी थी।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा ( Yashwant Verma) के विरुद्ध आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट दी है।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि मैंने जस्टिस वर्मा से संपर्क किया, जो 17.3.2025 को सुबह करीब 8.30 बजे दिल्ली हाईकोर्ट गेस्ट हाउस में मुझसे मिले, जहां मैं फिलहाल रह रहा हूं। जस्टिस वर्मा ( Yashwant Verma) ने जवाब देते हुए कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी, उसमें केवल कुछ फर्नीचर और गद्दे आदि जैसे अनुपयोगी घरेलू सामान रखे हुए थे।

उन्होंने यह भी बताया कि कमरे में नौकरों, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी के कर्मचारी भी आ-जा सकते थे। उन्होंने बताया कि घटना के समय वे भोपाल में थे और उन्हें यह जानकारी उनकी बेटी से मिली।

जस्टिस वर्मा ( Yashwant Verma) ने बताया कि इस समय कमरे में काला जला हुआ पदार्थ (कालिख) पड़ा हुआ है। इसके बाद मैंने उन्हें अपने व्हाट्सएप पर तस्वीरें और वीडियो दिखाए, जो पुलिस आयुक्त मुझे पहले ही भेज चुके थे। इसके बाद उन्होंने अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जताई।

बता दें कि इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है।

जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।


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