
प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचने के लिए सभी राज्यों से भारी संख्या में लोग रेलवे स्टेशनों पर जमा हो रहे हैं, तो यह कोई अचानक पैदा होने वाली स्थिति नहीं है।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
इस बात की संभावना बिल्कुल शुरू से थी कि नई दिल्ली स्टेशन से महाकुंभ के लिए जाने वाले लोगों की संख्या कभी भी बेलगाम हो जा सकती है। विडंबना है कि इसके मद्देनजर स्टेशन पर कोई भी ऐसी व्यवस्था नहीं दिखी, जिससे लगे कि सरकार किसी त्रासद घटना को न होने देने की इच्छाशक्ति के साथ काम कर रही है। इसका नतीजा इस रूप में सामने आया कि नई दिल्ली स्टेशन पर बड़े पैमाने पर लोग पहुंचे और महाकुंभ में जाने के लिए गाड़ी पकड़ने की कोशिश में भगदड़ मच गई।
सच यह है कि कुछ पूर्व सुरक्षा इंतजाम और सख्त नियम-कायदे लागू करके जिस त्रासद घटना को होने से रोका जा सकता था, वहां सिर्फ व्यवस्थागत बदइंतजामी, शासकीय अदूरदर्शिता और लापरवाही की वजह से कई लोगों की जान चली गई। समझना मुश्किल है कि सामान्य समझ के मुताबिक भी जो परिस्थिति संभावित थी और हादसे की आशंका लगातार बनी हुई थी, उसके बारे में उच्च स्तर के संबंधित अधिकारियों को अंदाजा क्यों नहीं हुआ।
अब नई दिल्ली स्टेशन पर सुरक्षा बढ़ाई गई है, प्लेटफार्म टिकट की बिक्री को नियंत्रित किया गया है, बिना वैध कारणों के रेल-पुल पर लोगों के खड़ा होने की मनाही की गई है, स्टेशन परिसर में अस्थायी तंबुओं में यात्रियों को रोका जा रहा है, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है और आपात प्रतिक्रिया दल भी तैयार किए गए हैं। निश्चित तौर पर यह रेल महकमे से लेकर स्टेशन पर मौजूद उच्च स्तर के अधिकारियों की अदूरदर्शिता का सबूत है कि ये सुरक्षात्मक इंतजाम इतनी देर से किए गए। यही सब उपाय पहले किए जाते तो शायद अव्यवस्था न फैलती और उसके नतीजे त्रासद न होते।
