उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बाद उत्तराखंड देश में तीसरा ऐसा राज्य बन गया है, जहां दंगे की आड़ में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से नुकसान की भरपाई की जाएगी. राजभवन ने पिछले महीने विधानसभा में पास किए गए उत्तराखण्ड लोक (सरकारी) तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (अध्यादेश) को मंजूरी दे दी है.

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   इसके साथ ही नया कानून अमल में आ गया है.

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

सीएम धामी ने राज्यपाल का किया धन्यवाद
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अध्यादेश को मंजूरी देने पर राज्यपाल को धन्यवाद दिया है. साथ ही दोहराया कि “देवभूमि उत्तराखण्ड में कानून व्यवस्था और राज्य का मूल स्वरूप बिगाड़ने की किसी को छूट नहीं है. इस कानून का राज्य में कड़ाई से पालन कराया जाएगा.” साथ ही सीएम धामी ने कहा कि इस कानून के तहत दंगाईयों से सरकारी और निजी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई की जा सकेगी. साथ ही दंगा नियंत्रण में लगे सरकारी अमले एवं अन्य कार्यों पर आने वाले खर्च की भरपाई भी की जाएगी.

हल्द्वानी दंगे के बाद सख्त हुए थे सीएम धामी
दरअसल इसी साल फरवरी में हल्द्वानी के वनभूलपुरा में अवैध मदरसे पर कार्यवाही करने गई टीम पर दंगाइयों ने हमला बोल दिया था. इसके बाद से ही सीएम धामी बेहद सख्त दिखे. उन्होंने हिंट कर दिया था कि उत्तराखंड में कानून के जरिए सरकारी और प्राइवेट संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर न केवल कड़ा एक्शन लिया जाएगा बल्कि उनसे वसूली भी की जाएगी. हल्द्वानी दंगों में 6 लोग मारे गए थे जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए.

रिटायर्ड जज ट्रिब्यूनल के हो सकते हैं अध्यक्ष
इस कानून के तहत एक ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता कोई सीनियर रिटायर्ड जज कर सकते हैं. संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला क्लेम ट्रिब्यूनल में जाएगा, जिसमें सरकारी या प्राइवेट संपत्ति को कीमत को आंकने के बाद, दोषी से वसूली की जाएगी. गौरतलब है कि धर्मांतरण कानून, नकल विरोधी कानून, यूनिफॉर्म सिविल कोड के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संपत्ति के नुकसान की रिकवरी वाला कानून लाकर लंबी लकीर खींची है. जनकार कहते हैं कि संदेश साफ है कि लोकतांत्रिक ढांचे में आवाज उठाने पर आपत्ति नहीं है लेकिन अगर तोड़फोड़ और कानून तोड़ने की कोशिश होगी तो उससे कड़ाई से निपटा जाएगा.


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