भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है। इसके मुखिया मोहम्मद युनुस हैं। इस नई सरकार में 16 अन्य सदस्यों को भी जगह दी गई है। इन सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। ‍ सूत्रों के अनुसार तख्ता पलट के बाद हिंदुओं को चुन चुन कर निशाना बनाया गया। 50000 से ज्यादा हिंदुओं की हत्या और 10000 महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार ,हिंदुओं के प्रतिष्ठानों को इस भीड़ के द्वारा लूट लिया गया।अभी भी हजारों की संख्या में बांग्लादेशी हिंदू भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर इकट्ठे हैं। नई सरकार का गठन के लिए यह सब चुनौती होंगे।

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खालिद हुसैन को दी जाने वाली जिम्मेदारी के समय पर भी काफी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिम सरकार के गठन के बाद में मुहम्मद युनुस को बधाई दी थी। इतना ही नहीं पीएम ने हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी अपील की थी। हालांकि, उसके बावजूद भी युनुस सरकार ने खालिद हुसैन जैसे कट्टरपंथी को यह जिम्मेदारी दे दी। इससे यह बात साफ नजर आती है कि युनुस सरकार का झुकाव किस तरफ है।

हिंदुओं के खिलाफ हिंसा

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के देश से जाने के बाद इस्लामी कट्टरपंथी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा कर रहे हैं। स्थिति इतनी बदतर होती जा रही है कि कई इलाकों में मंदिरों में तोड़फोड़ और हिंदु समुदाय के लोगों को टारगेट करने तक की बात सामने आई हैं।

कौन है खालिद हुसैन ?

मोहम्मद युनुस की अंतरिम सरकार में एएफएम खालिद हुसैन को सलाहाकार भी बनाया गया है। वह एक इस्लामी कट्टरपंथी देवबंदी मौलाना है। बताया जाता है कि खालिद हुसैन हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश नाम के एक संगठन से जुड़ा हुआ है। इस संगठन की यह हिस्ट्री रही है कि यह हिंदू और खास तौर पर भारत विरोधी रुख अपनाता रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश को अफगानिस्तान की तरह बनाने की फिराक में है। खालिद हुसैन का इस संगठन का उपाध्यक्ष रहा है। यह संगठन लगातार बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लाम लाने की वकालत करता रहा है।

बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी में गिरावट

बांग्लादेश में पिछले कुछ सालों में हिंदुओं की आबादी में लगातार गिरावट आती जा रही है। साल 1951 में हिंदुओं की आबाद लगभग 22 प्रतिशत थी। हालांकि, यह साल 2011 के आते-आते 8.54 फीसदी तक सिमट कर रह गई है।


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