आज सतर्कता अधिष्ठान उत्तराखण्ड द्वारा सिडकुल सितारगंज के सहायक लेखाकार को 9 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। सतर्कता अधिष्ठान ने शिकायत के बाद तत्परता से तत्काल ट्रैप टीम का गठन कर लेखाकार को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता द्वारा सिडकुल में 2 प्लॉट के लिए आवेदन किया गया था, जिसका आवंटन होने एवं पूर्ण भुगतान करने के बाद रजिस्ट्री की एनओसी उपलब्ध कराने के एवज में आर.एम. सिडकुल, सितारगंज के कार्यालय में तैनात अकाउन्टेन्ट उमेश कुमार पुत्र प्रकाश जोशी निवासी चांदमारी काठगोदाम हल्द्वानी नैनीताल ने रिश्वत की मांग की थी। शिकायत पर सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर हल्द्वानी द्वारा गोपनीय जाँच किए जाने पर प्रथम दृष्टतया सही पाए जाने पर तत्काल ट्रैप टीम का गठन किया गया, टीम द्वारा नियमानुसार कार्रवाई करते हुए आज आर.एम. सिडकुल सितारगंज के लेखाकार उमेश कुमार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। अचानक हुई गिरफ्तारी के बाद कार्यालय में हड़कंप मच गया।
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कैंची धाम मंदिर के स्थापना के पीछे रोचक कथाशिप्रा नदी पर स्थित मंदिर के स्थापना के पीछे रोचक कथा है। महाराज के मन में उठी मौज ही उनका संकल्प बन जाती थी। ऐसी ही मौज में बाबा ने कैंची धाम की स्थापना की थी। बुजुर्ग बताते हैं कि वर्ष 1942 में कैची निवासी पूर्णानंद तिवारी सवारी के अभाव में नैनीताल से गेठिया होते हुए पैदल ही कैंची की ओर लौट रहे थे। तभी एक स्थूलकाय व्यक्ति कंबल लपेटे हुए नजर आया तो तिवारी जी डर एक्स गए। उस व्यक्ति ने तिवारी जी को उनका नाम लेकर पुकारा और इस समय उनके वहां पहुंचने का कारण भी बता दिया। यह कोई और नहीं बल्कि स्वयं बाबा नीब करौरी महाराज थे। बाबा ने तिवारी से निडर होकर आगे जाने को कहा। तब तिवारी ने बाबा से पूछा कि अब कब उनके दर्शन होंगे तब बाबा ने कहा था 20 साल बाद। यह कहकर बाबा ओझल हो गए।बाबा नीब करौरी का कैंची धाम भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। 15 जून को कैंची धाम का 60वां प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाएगा।15 जून को नैनीताल के पास विश्व प्रसिद्ध नीम करोली महाराज के कैंची धाम में प्रसिद्ध भोज का आयोजन किया जाएगा. इस दिन दो लाख से ज्यादा लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दिन भक्तों और आने वाले वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि जिला प्रशासन को इसके लिए खास इंतजाम करने पड़ते हैं. मान्यता है कि भोजन करने वालों की संख्या ज्यादा होने पर भी कभी भोजन की कमी नहीं होती, क्योंकि इस दिन नीम करोली बाबा खुद इस भोज का ध्यान रखते हैं और किसी चीज की कमी नहीं होने देते.कैंची में बाबा नीब करौरी आश्रम की स्थापना के बाद से ही वहां हर साल 15 जून को स्थापना दिवस कार्यक्रम होता है। समय बीतने के साथ साथ स्थापना दिवस के इस कार्यक्रम ने कैंची मेले का रूप ले लिया और साल दर साल यह भव्य होता गया। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान का अवतार भी मानते हैं। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपने पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। इन दिनों हर रोज दस से पंद्रह हजार श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। इस साल मंदिर ट्रस्ट ने दो लाख से अधिक लोगों को मालपुआ उपलब्ध कराने के लिए 42 क्विंटल कागज की थैली दिल्ली से मंगाई है। प्रसाद के साथ मिलने वाली सब्जी कागज से बनाए गए गिलास में उपलब्ध कराई जाएगी। विशेष रूप से बनाए गए चार लाख गिलास मंदिर में पहुंच गए है। पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कागज से निर्मित सामग्री उपयोग में लाई जाएगी। प्रसाद यानी मालपुआ बनाने का काम 12 जून से पूजा पाठ के साथ शुरू हो गया है, जो मेला समाप्त होने तक चलेगा। कैंची के ग्राम प्रधान और मंदिर ट्रस्ट से जुड़े पंकज निगल्टिया ने बताया कि इस बार दो लाख से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है।देश और दुनिया के लिए बाबा नीब करौरी का कैंची धाम भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। देशभर में बनाए गए अपने 11 धामों में कैंची को बाबा ने अपने विशेष लगाव के चलते मनसा सिद्धि यानी जो मांगा वो मिला का दर्जा दिया था। कैंची के अलावा नैनीताल जिले में भूमियाधार, काकड़ीघाट, हनुमानगढ़ और देश में वृंदावन, ऋषिकेश, लखनऊ, शिमला, फर्रुखाबाद में खिमासेपुर, दिल्ली समेत अन्य स्थानों में धाम हैं। कैंची धाम से बाबा का विशेष लगाव रहा।बाबा को बहुत प्रिय था कैंची धामबाबा नीब करौरी को कैंची धाम बहुत प्रिय था। अक्सर गर्मियों में वे यहीं आकर रहते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मंदिर बनवाया। उस मंदिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यहां बाबा नीब करौरी की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है। बाबा नीब करौरी महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। हनुमान चालीसा पाठ करते हुए बनने शुरू हुए मालपुए का प्रसादजितना महत्व हर वर्ष 15 जून को कैंची धाम स्थापना दिवस का है, उतना ही महत्व यहां मिलने वाला मालपुए के प्रसाद का भी है। मालपुआ का प्रसाद बनाने के कड़े नियम हैं। मालपुएं बनाने का काम आज (12 जून) से बनने शुरू हुए। शुद्ध देशी घी से बने मालपुए बनाने में वही श्रद्धालु भाग ले सकता है जो व्रत पर हो और धोती, कुर्ता धारण कर उस अवधि में लगातार हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा हो।
- Avtar Singh Bisht
- June 13, 2024
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