बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार यूनुस ने एक इंटरव्यू में कहा है कि बांग्लादेश में रोहिंग्या को संभालना आसान नहीं है. उन्होंने कहा है कि तनाव बना ही रहेगा. यूनुस इस टिप्पणी से जाहिर हो रहा है कि रोहिंग्या की समस्या भारत की तरह ही बांग्लादेश के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है.

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बांग्लादेश म्यांमार के साथ एक बड़ा बॉर्डर शेयर करता है, 2017 में हुए रोहिंग्या नरसंहार के बाद लाखों रोहिंग्या समुदाय के लोग म्यांमार से भाग बांग्लादेश आए थे. यूनुस ने बताया कि ढाका के क्रॉक्स बाजार में ही 10 लाख रोहिंग्या हैं. क्रॉक्स बाजार लगातार हिंसा की वजह से सुर्खियों में हैं. यूनुस ने कहा इस क्षेत्र में लूट, ड्रग और हिंसा की घटनाएं बढ़ गई है. जिनसे निपटने की कोशिश की जा रही है.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

रोहिंग्याओं से परेशान यूनुस सरकार

बांग्लादेश सरकार रोहिंग्याओं को कंट्रोल में नाकाम साबित होती दिख रही है और अब वह इसे निपटने के लिए म्यांमार के चरमपंथी गुटों तक से बातचीत करने के लिए तैयार है. स्काई न्यूज को दिए इंटरव्यू में यूनुस ने कहा कि वे अब म्यांमार में ‘विद्रोही समूहों’ के साथ ‘सुरक्षित क्षेत्र’ की संभावना के बारे में बातचीत कर रहे हैं ताकि रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके वतन लौटने में मदद मिल सके.

यूनुस ने माना है कि देश में लंबे समय से चल रहे गृहयुद्ध में हिंसा बढ़ने के बाद म्यांमार से बांग्लादेश में पलायन करने वाले मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों की संख्या तेजी से बढ़ी है.

भारत में रोहिंग्या

बांग्लादेश की तरह ही गृहयुद्ध में हिंसा बढ़ने के बाद म्यांमार हजारों रोहिंग्या भारत आए थे. इनमे से कई अवैध तरीके से भारत में रह रहे हैं. रोहिंग्या मुद्दा भारत की राजनीति में खूब भुनाया जाता है. पिछले कुछ सालों से भारत की कई राज्य सरकारों ने रोहिंग्या के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है और उन्हें हिरासत में लेकर डिटेंशन सेंटर भी भेजा गया है.


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